राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट)-2018 में सीबीएसई के फैसले के खिलाफ छात्रों की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से सामान्य वर्ग के छात्रों को कड़ा झटका लगा है। इन छात्रों के समूह ने नीट परीक्षा में प्रवेश पात्रता के लिए ऊपरी आयु सीमा को 25 साल से ज्यादा बढाने के लिए कोर्ट मे याचिका दायर की थी। इन छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका के जरिए ऊपरी आयु सीमा को समाप्त करने की मांग की थी। जिस पर कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
अब साफ हो चुका है कि नीट प्रवेश परीक्षा के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों की अधिकतम आयु 25 वर्ष रहेगी और आरक्षित श्रेणी के लिए अधिकतम आयु 30 साल ही रहेगी। यानि की इन उम्र से अधिक के छात्र नीट प्रवेश परीक्षा देने के योग्य नहीं होगे।
जस्टिस एसए बोबडे और एल नागेश्वर राव की पीठ ने यह आदेश पारित करते हुए दखल देने से इंकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वे संबंधित उच्च न्यायालयों में इस मामले के लिए संपर्क कर सकते है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अंडरग्रेजुएट मेडिकल और डेन्टल पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा के लिए ऊपरी आयु सीमा तय करने के लिए सीबीएसई के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। सीबीएसई ने 22 जनवरी, 2018 को भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा जारी एक अधिसूचना के आधार पर ऊपरी आयु सीमा को लागू किया था।
गौरतलब है कि नीट परीक्षा के आवेदन की आखिरी तारीख 9 मार्च 2018 है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि नीट परीक्षा मे छात्र विभिन्न राज्यो से आते है और 9 मार्च तक उच्च न्यायालयों को ये मामला स्थानांतरित करना मुश्किल होगा।
पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट में आने को लेकर सवाल उठाया। पीठ ने वकील से कहा कि आपने इससे पहले हाईकोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया?