भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान के साथ अमेरिका के शांति प्रयासों को लेकर आगाह किया है। भारत ने कहा है कि देश का भविष्य तय करने में मुख्य आवाज निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही बनना चाहिए।
भारतीय राजनयिक विदिशा मैत्रा ने बुधवार को कहा, “किसी भी समाधान की ‘संवैधानिक वैधता’ और राजनीतिक स्वीकार्यता’ होनी चाहिए और गैर-शासित जगहों को आतंकवादियों और उनके समर्थकों के लिए नहीं छोड़ देना चाहिए कि वे उस इलाके का शोषण करें।”
संयुक्त राष््रठ मिशन में भारत की प्रथम सचिव मैत्रा ने महासभा में अफगानिस्तान पर बहस के दौरान कहा, “किसी भी देश में, देश के लोगों को और देश के निर्वाचित प्रतिनिधियों को उनके देश का भविष्य तय करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए और अफगानिस्तान के साथ यह हमेशा से भारत का मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है।”
उन्होंने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इन प्रयासों का समर्थन करते समय संगठित रहना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि इसी समय भारत ‘अंतर्राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और घरेलू स्तर पर औपचारिक शांति प्रक्रिया के लिए कई पहलों द्वारा पैदा किए गए अवसरों का स्वागत करेगा।’
अमेरिका तालिबान के साथ एक शांति समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रहा है, ताकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी वादे को पूरा करने के लिए अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस लाया जा सके।
उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान की सीमा से परे तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, अलकायदा और इससे जुड़े संगठन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों के पनाहगाहों को निश्चित ही समाप्त किए जाने की जरूरत है।”