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    श्रम क़ानून

    नई दिल्ली, 5 जुलाई (आईएएनएस)| केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में अपने बजट भाषण के दौरान पंजीकरण और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को मानकीकृत करने के लिए श्रम कानूनों को सरल बनाने का प्रस्ताव दिया।

    उन्होंने कहा, “सरकार कई श्रम कानूनों को चार लेबर कोडों के एक समूह में सुव्यवस्थित करने का प्रस्ताव कर रही है। यह पंजीकरण और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया के मानकीकरण और सुव्यवस्थित किया जाना सुनिश्चित करेगी। विभिन्न श्रम संबंधी परिभाषाओं को मानकीकृत करने के साथ, उम्मीद है कि इससे कम विवाद होगा।

    उन्होंने कहा कि बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भविष्य में गंभीर श्रम की कमी का सामना करने के लिए तैयार हैं।

    निर्मला ने कहा, “युवाओं को विदेशों में नौकरी पाने के लिए तैयार करने खातिर हम विदेशों में आवश्यक कौशल व्यवस्था पर ध्यान केंद्रति करेंगे।”

    इन कौशल व्यवस्थाओं में नए युग के कौशल, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डेटा, 3डी प्रिंटिंग, वर्चुअल रियलिटी और रोबोटिक्स के अलावा भाषा प्रशिक्षण शामिल होंगे। इन कौशलों का देश के भीतर और बाहर बहुत महत्व है और यह बहुत अधिक पारिश्रमिक दिलाता है।

    भारत का आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 जो गुरुवार को संसद में पेश किया गया था, इसने समावेशी विकास और रोजगार सृजन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश में प्रचलित चार अलग-अलग मजदूरी अधिनियमों को लागू करने की सिफारिश की गई थी।

    रिपोर्ट में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (1948), मजदूरी का भुगतान अधिनियम (1936), बोनस भुगतान अधिनियम (1965) के भुगतान और समान पारिश्रमिक अधिनियम (1976) को कानून के एक हिस्से के तौर पर मिलाने की सिफारिश की गई थी।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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