सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निर्भया मामले के एक दोषी मुकेश की याचिका खारिज कर दी। उसने राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने की न्यायिक समीक्षा की मांग की थी। साल 2012 में दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दोषियों को तीन दिन बाद फांसी की सजा दी जानी है। शीर्ष अदालत का यह आदेश आने के बाद मुकेश को उसे मिली मौत की सजा से बचने का अंतिम कानूनी उपाय भी खत्म हो गया है।
न्यायमूर्ति आर. भानुमति, अशोक भूषण और ए.एस. बोपन्ना की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले से संबंधित सभी मामले राष्ट्रपति के समक्ष पेश किए गए थे और इसके बाद उसकी (मुकेश की) दया याचिका पर फैसला किया गया।
कोर्ट ने कहा कि जेल में दोषी को कथित खराब व्यवहार और क्रूरता को आधार मानकर दया नहीं दी जा सकती। मुकेश के वकील के उस तर्क को भी अदालत ने खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि समय राष्ट्रपति ने दया याचिका पर जल्दबाजी में निर्णय लिया।
कोर्ट ने कहा, “राष्ट्रपति ने जल्दी ही निर्णय ले लिया, तो इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने बिना सोचे-समझे यह निर्णय लिया।”