सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्भया मामले के दोषी पवन गुप्ता के किशोर होने का दावा करने वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया। शीर्ष न्यायालय ने कहा, “हम कितनी बार वही बातें सुनेंगे, आपने इसे कई बार उठाया है।”
पवन गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने यह मानने से इनकार कर दिया था कि जब उसने 16 दिसंबर, 2012 की रात निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म का अपराध किया था, तब वह एक किशोर था।
सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता ने 29 दिसंबर, 2012 को दम तोड़ दिया था। वर्ष 2013 में एक जुवेनाइल बोर्ड द्वारा घोषणा की गई थी कि अपराध के समय पवन किशोर नहीं था।
पवन के वकील ने तर्क दिया था कि अभियोजन पक्ष ने जानबूझकर इस तथ्य को छिपाया कि वह एक किशोर है। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अभियोजन पक्ष लगातार यह बात कहता रहा कि अपराध के समय अपराधी किशोर नहीं था।
मेहता ने कहा, “उसका जन्म प्रमाण-पत्र रिकॉर्ड के रूप में मौजूद है। उसके परिजनों ने अपराध को लेकर आयोग के सामने कभी भी उम्र का विवाद नहीं किया।”