सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के दोषियों विनय कुमार और मुकेश द्वारा दायर की गई उपचारात्मक (क्यूरेटिव) याचिकाओं को खारिज कर दिया। इन दोषियों ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा पर सवाल उठाते हुए याचिकाएं दायर की थी। ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा को बाद में हाईकोर्ट और शीर्ष अदालत ने भी बरकरार रखा था।
न्यायमूर्ति एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पांच सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से कहा कि दोषियों की उपाचारात्मक याचिकाओं का कोई आधार नहीं है।
न्यायमूर्ति रमना की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा दोषियों के वकीलों की उपस्थिति के बिना चैंबर में उपचारात्मक याचिकाओं पर सुनवाई की। दरअसल पुनर्विचार व उपचारात्मक याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चैंबर में ही होती है।
पांच न्यायाधीशों की पीठ ने मौत की सजा पर अमल करने के लिए भी दोषियों की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा, “मौखिक सुनवाई के लिए आवेदन खारिज किए जाते हैं। मृत्युदंड की सजा पर रोक के आवेदन को भी खारिज किया जाता है।”
इस पर गैंगरेप पीड़िता निर्भया की मां आशा देवी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि आज मेरे लिए बहुत बड़ा दिन है क्योंकि मैं 7 साल से संर्घष कर रही हूं लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ा दिन वो होगा जब दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जाएगी, और उम्मीद करती हूं कि जो भी उनकी रेमेडी है वह इसी तरह खारिज होगी।