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    निर्भया दुष्कर्म एवं हत्या मामले की सुनवाई बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में शुरू हो गई। जस्टिस आर भानुमती की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की नई गठित तीन-न्यायाधीश पीठ, जिसमें जस्टिस अशोक भूषण और ए एस बोपन्ना शामिल हैं, 2012 के दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले के दोषियों में से एक, अक्षय कुमार सिंह की समीक्षा याचिका पर सुनवाई शुरू कर चुके हैं।

    दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वह निर्भया के दोषियों को दया याचिका के लिए एक सप्ताह का नोटिस जारी करे।

    2012 दिल्ली बलात्कार पीड़िता के पिता, बद्रीनाथ सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों में से एक – अक्षय कुमार सिंह की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। हम अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं। जब तक पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा डेथ वारंट जारी नहीं किया जाता है, हम संतुष्ट नहीं होंगे।

    दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले की सुनवाई करते हुए पीड़िता की मां से कहा, “हम जानते हैं कि किसी की मृत्यु हुई है, लेकिन उन्हें (दोषियों को) कुछ कानूनी अधिकार हैं।” अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने सात जनवरी के लिए मामले को स्थगित कर दिया। उन्होंने तिहाड़ जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दोषियों को नए सिरे से नोटिस जारी कर उनके कानूनी उपायों का उपयोग करने का समय प्रदान करें।

    सुनवाई की लंबी तारीख दिए जाने के बाद पीड़िता की मां आशा देवी निराश हो गईं। न्यायाधीश ने आशा से कहा, “मुझे आपके साथ पूरी सहानुभूति है। मैं जानता हूं कि किसी की मृत्यु हो गई है, लेकिन उनके अधिकार भी हैं। हम यहां आपकी बात सुनने के लिए हैं, लेकिन कानून से भी बंधे हैं।”

    सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने दोषियों के खिलाफ मौत के वारंट जारी करने के लिए एक आवेदन दायर किया। इससे पहले दिन में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय कुमार सिंह द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति आर. भानुमति की शीर्ष अदालत की एक खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका को योग्यता के आधार पर खारिज कर दिया।

    निर्भया सामूहिक दुष्कर्म-हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की समीक्षा याचिका खारिज की

    निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले में मृत्युदंड की सजा पाए चार में से एक दोषी अक्षय की समीक्षा याचिका बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। न्यायमूर्ति आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अक्षय की समीक्षा याचिका अन्य दोषियों की याचिकाओं के समान थी, जिन्हें शीर्ष अदालत 2018 में ही रद्द कर चुकी है।

    कोर्ट ने कहा, “सजा की समीक्षा में हमें कोई आधार नहीं दिखा।”

    न्यायमूर्ति भानुमति ने कहा कि पीठ ने उस तर्क पर उचित विचार किया, जिसमें यायिकाकर्ताओं ने सबूत इकट्ठे करने की मांग की थी, और इसकी अनुमति नहीं दी गई।

    कोर्ट ने कहा, “इन तर्को पर पहले विचार किया जा चुका है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। इन सभी पर ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विचार हो चुका है।”

    न्यायमूर्ति भानुमति ने कहा कि कोर्ट ने समीक्षा के लिए नियत नियमों के मापदंडों के अंतर्गत मामले की समीक्षा की और वह अब मामले पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रही है।

    अन्य तीन दोषियों की याचिकाओं को खारिज करने का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा, “उसके (दोषी) द्वारा जांच में कमियों और तर्को को पहले खारिज किया जा चुका है।”

    अक्षय के वकील ने कोर्ट में कहा कि उनका मुवक्किल राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करना चाहता है। उन्होंने इसके लिए तीन सप्ताह का समय मांगा।

    केंद्र सरकार के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इसके लिए नियत समय सिर्फ एक सप्ताह है। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका के लिए समयसीमा पर आदेश देने से इंकार कर दिया।

    कोर्ट ने कहा, “इस संबंध में हम अपने विचार नहीं बता रहे हैं, और दोषी कानून के अनुसार दिए गए समय के भीतर दया याचिका दायर कर सकते हैं।”

    दोपहर दो बजे, निर्भया के माता-पिता की याचिका पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई

    2012 दिल्ली गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता, जो मामले के सभी दोषियों को फांसी की सजा की प्रक्रिया को तेज किए जाने की याचिका पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट आज दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगी। सभी दोषियों को एएसजे, सतीश कुमार अरोड़ा की अदालत के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया जाएगा।

    मामले में दोपहर 1 बजे सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला सुनाया जाएगा

    दोषी अक्षय कुमार के वकील डॉ एपी सिंह की दलीलें

    सुनवाई के दौरान दोषी अक्षय कुमार सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील,डॉ एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अब उनके पास मामले में नए तथ्य हैं। उनका कहना है कि उनके मुवक्किल को मीडिया के दबाव, सार्वजनिक दबाव और राजनीतिक दबाव आदि के अंतर्गत दोषी ठहराया गया था। यह दबाव अभी भी है।

    सुनवाई के दौरान डॉ एपी सिंह ने मुख्य गवाह, अमरिंदर पांडे पर सवाल उठाया और कहा, मामले में उनके सबूत और प्रस्तुतियाँ अविश्वसनीय हैं। इस दौरान उन्होंने यह भी दावा किया कि निर्भया का दोस्त एक भ्रष्ट गवाह है और उसने रिश्वत ली है।

    बहस के दौरान उन्होंने कहा, कि भारत में मृत्युदंड को समाप्त किया जाना चाहिए। अक्षय को इस मामले में झूठा फंसाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि मृत्यु के दौरान की गई पीड़िता की घोषणा संदिग्ध थी। वह उसको सिखाया गया बयान था। वह स्वैच्छिक नहीं था। उसने (2012 के सामूहिक बलात्कार पीड़िता) ने उस आरोपी का नाम नहीं बताया, जिसने अपराध किया था।

    उन्होंने दोषी अक्षय के बचाव में कहा कि मामले में जाली रिपोर्ट तैयार की गई। अक्षय कुमार सिंह को झूठे मामले में फंसाया गया है। सब उसे सजा दिलाने के लिए रचा गया था। उन्होंने इस दौरान ब्लैक वारंट किताब का उल्लेख भी किया, जिसमें निर्भया मामले के सह आरोपी राम सिंह की हत्या का संदेह जताया गया है। अक्षय के वकील ने कहा, “नए तथ्य निर्भया के कातिलों को 2017 में दी गई मौत की सजा की समीक्षा की मांग करते हैं।”

    दोषी अक्षय के वकील ने कोर्ट द्वारा दोषी को मृत्यु दण्ड दिए जाने की सजा के खिलाफ कहा है कि मृत्युदंड सजा का एक पुराना तरीका है। फांसी से अपराधी मरता है, अपराध नहीं । यह भी कहा कि मृत्युदंड का उपयोग अपराधियों और दोषियों को रोकने के लिए प्रभावशाली नहीं है।

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