केंद्रीय जल मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि गंगा नदी अगले साल मार्च तक 70-80 प्रतिशत और मार्च 2020 तक 100 प्रतिशत स्वच्छ होगी।
गडकरी स्वच्छ राष्ट्रीय गंगा परियोजना और दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में नदी के 22 किलोमीटर लंबे क्षेत्र के संरक्षण के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत यमुना के कायाकल्प के लिए 11 परियोजनाओं की आधारशिला रखी।
सरकार यमुना की सफाई पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो गंगा की दूसरी सबसे बड़ी सहायक नदी है। सरकार ने पूर्व जल संसाधन मंत्री उमा भारती के नेतृत्व में 2018 तक गंगा को साफ़ करने का लक्ष्य रखा था। बाद में उमा भारती से ले कर इस मंत्रालय को नितिन गडकरी के सुपुर्द किया गया।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा था कि हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा का पानी पीने और नहाने योग्य नहीं है इसलिए प्रशासन को वहां स्वास्थ्य चेतावनी के सूचना बोर्ड लगाने चाहिए।
हालाँकि गडकरी को लगता है कि वो गंगा को साफ़ करने का लक्ष्य 2020 तक हासिल कर लिया जाएगा। अब तक गंगा की सफाई पर 26,000 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। “नमामि गंगे कार्यक्रम के शुभारंभ के साथ गंगा की सहायक नदियों की सफाई के लिए कई प्रोजेक्ट शुरू किये गए थे। इस प्रोजेक्ट की मदद से नदी में गिरने वाले सीवेज पानी को रोक दिया जाएगा।”
ऊपरी यमुना बेसिन में लखवार बहुउद्देश्यीय परियोजना का उल्लेख करते हुए, गडकरी ने कहा कि एक बार यह परियोजना पूरी हो जाने के बाद, यमुना दिल्ली में बिना किसी रुकावट के बहेगी। इसी परियोजना के तहत नदी की सतह की सफाई के लिए दिल्ली में यमुना के लिए पहले से ही कचरा स्किमर तैनात है।
गडकरी ने अपने भाषण में कहा कि दिल्ली के अलावा, हरियाणा (पानीपत और सोनीपत) और उत्तर प्रदेश (मथुरा-वृंदावन) में यमुना की सफाई के लिए काम जोर शोर से हो रहा है। उन्होंने कहा, “आगरा में 180 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रोजेक्ट भी मंजूर किया गया है।”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ हर्षवर्धन भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।