केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बहुप्रतीक्षित निजी डेटा संरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी और सरकार अब मौजूदा शीतकालीन सत्र में इस विधयेक को पेश करेगी। केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हालांकि मीडिया को विधेयक के बारे में कोई जानकारी नहीं दी और कहा कि इसके बारे में पहले सदन में चर्चा की जाएगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय(एमईआईटीवाई) ने कैबिनेट में विधेयक भेजा था और दूरसंचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल ही में ऊपरी सदन को सूचित किया था कि डेटा संरक्षण कानून पर काम चल रहा है और इसे जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा।
प्रस्तावित कानून का भारत में संचालित एमएनसी पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। साथ में या फिर बिना व्यक्तिगत उपस्थिति के, इसके डेटा स्थानीयकरण आवश्यकताओं और सीमा पार से डेटा ट्रांसफर प्रतिबंधों के चलते इसपर प्रभाव पड़ सकता है।
यूरोपीय संघ के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन(जीडीपीआर) के नक्शेकदम पर चलते हुए, सरकार ने बीते वर्ष सरकार और निजी कंपनियों द्वारा निजी डेटा के नियमन को लेकर निजी डेटा सुरक्षा विधेयक का एक मसौदा पेश किया था।
निजी डेटा संरक्षण विधेयक, 2018 नाम के मसौदा विधेयक को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी.एन. श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह ने तैयार किया था। माना जा रहा है कि विधेयक में निजी डेटा एकत्रीकरण, भंडारण और प्रक्रिया के लिए नियम होगा और साथ ही व्यक्तिगत सहमति, दंड और मुआवजा, आचार संहिता और उसे लागू करने का मॉडल भी उसमें शामिल होगा।