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    निजता के अधिकार

    निजता के अधिकार पर सालों से चले आ रहे विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और यह संविधान के अनुसार है।

    सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की पीठ ने इस मुद्दे पर सर्वसम्मति से अपना फैसला दिया है। फैसले में कहा गया कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और किसी भी व्यक्ति आधार की सुचना लीक नहीं कर सकते। अदालत के इस फैसले से केंद्र सरकार को एक झटका लगा है जो की अब तक इस फैसले को मौलिक अधिकार मानाने से इंकार कर रही थी।

    इसके साथ ही अदालत फैसले से आधार कार्ड योजना को भी झटका लगा है। इसे पहले आपको बता दें कि 1954 और 1962 में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि निजता सबका अधिकार है लेकिन इसे मौलिक अधिकार नहीं बताया जा सकता है। इस फैसले से अदालत ने अपने ही फैसले में फेर-पलट की है।

    फैसले के बाद वकील प्रशांत भूषण ने मीडिया को बताया कि मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने फैसला सुनाया। उनके मुताबिक इस फैसले से सरकार को जरूर झटका लगेगा। इस फैसले से सरकार द्वारा जारी आधार प्रावधान मान्य नहीं होता है।

    कोर्ट के इस फैसले की राजनीति में भी खासी चर्चा रही। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि इस फैसले से आधार पर अंकुश जरूर लगेगा लेकिन सरकार को इससे कोई झटका नहीं लगेगा। वहीँ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि 1947 में मिली आज़ादी आज पूरी तरह से पूर्ण हुई है।

    जस्टिस खेहर ने संविधान बेंच में जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस एसए बोडबे, जस्टिस आरके अग्रवाल, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस अभय मनोहर सप्रे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस अब्दुल नजीर को भी शामिल किया था।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।