स्वतंत्र रूप से काम करने वाले चेन्नई के एक अंतरिक्ष प्रेमी ने चंद्रमा पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा ढूंढ़ निकाला और वैज्ञानिकों को विक्रम के दुर्घटनास्थल की जानकारी प्राप्त करने में मदद की है।
यह खोज करने वाले षणमुगा सुब्रह्मण्यम ने मंगलवार को आईएएनएस को बताया, “यह कुछ चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि इसे नासा भी नहीं ढूंढ़ पाया था। हमने सोचा कि हम इसकी कोशिश क्यों नहीं कर सकते? और इसी विचार के कारण मैंने विक्रम लैंडर की तलाश शुरू की।”
उन्होंने नासा के लूनर रिकनैसंस ऑर्बिटल (एलआरओ) कैमरा से ली गई तस्वीरें देखी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने ये तस्वीरें सार्वजनिक कर दी हैं।
एलआरओ प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक नोआ पेट्रो ने आईएएनएस से कहा, “उस आश्चर्यजनक व्यक्ति की कहानी वास्तव में काफी शानदार है, जिसने यह खोज की और यह खोजने में हमारी मदद की।”
उन्होंने कहा कि सुब्रह्मण्यम एलआरओ से पूरी तरह अलग हैं, चंद्रयान-2 की टीम से पूरी तरह अलग हैं। यह बात उन्हें विशेष बनाती है कि उनकी चंद्रयान-2 में अत्यधिक रुचि थी, और उन्होंने हमारे आंकड़ों का उपयोग किया और उस जगह को चिह्नित किया जिसे हम नहीं पहचान पाए थे।
पेट्रो ने कहा, “उन्होंने तस्वीरें देखी, पिक्सल दर पिक्सल देखा और उसे पहचान लिया।”
सुब्रह्मण्यम चेन्नई में एक सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने आईएएनएस को ईमेल के माध्यम से बताया कि उन्होंने यह खोज अपने खाली समय में की।
नासा ने कहा कि पहली धुंधली तस्वीर दुर्घटनास्थल की हो सकती है, जो एलआरओसी द्वारा 17 सितंबर को ली गई तस्वीरों से बनाई गई है। कई लोगों ने विक्रम के बारे में जानने के लिए इस तस्वीर को डाउनलोड किया।
नासा और इसरो के प्रोजेक्ट वैज्ञानिकों ने कहा कि लैंडर विक्रम गहरे अंधेरे में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, इसलिए वे फिलहाल विक्रम का पता नहीं लगा सकते।
पेट्रो ने कहा कि उन्हें और एलआरओ टीम के प्रमुख को सुब्रह्मण्यम की खोज के संबंध में उनका ईमेल मिला और विक्रम के दुर्घटनास्थल को तलाशने में इसकी सहायता ली गई।
एलआरओसी एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी (एएसयू) में स्थित है।
एएसयू ने कहा, “यह जानकारी मिलने के बाद एलआरओसी टीम ने पहले और बाद की तस्वीरों की तुलना कर पहचान की पुष्टि कर दी।”
यूनिवर्सिटी ने कहा कि जब पहले मोजाइक के लिए 17 सितंबर को तस्वीरें ली गईं, तो दुर्घटनास्थल बहुत धुंधला दिख रहा था और आसानी से इसे पहचाना नहीं जा सकता था।
लेकिन 14-15 अक्टूबर को और 11 नवंबर को ली गई तस्वीरों के दो क्रम बेहतर थे।
यूनिवर्सिटी ने कहा कि सुब्रह्मण्यम द्वारा दी गई सूचना पर एलआरओसी टीम ने नए मोजाइक्स में आसपास के क्षेत्र की तलाशी ली और दुर्घटनास्थल तथा मलवे का स्थान देख लिया।
यूनिवर्सिटी ने कहा कि दुर्घटनास्थल 70.8810 डिग्री एस, 22.7840 डिग्री ई, 834 मीटर ऊंचाई पर स्थित है।
एएसयू ने कहा, “षणमुगा ने सबसे पहले मलबा मुख्य दुर्घटनास्थल से 750 मीटर उत्तर-पश्चिम में देखा।”
छह सितंबर को चंद्रयान-2 से लॉन्चिंग के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्टलैंडिंग करने के प्रयास के दौरान लैंडर विक्रम का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के केंद्र से संपर्क टूट गया था।