अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख जेम्स ब्रिडेन्स्टीन ने कहा कि भारत और इसरो का सहयोग बरकरार है। इसरो के चेयरमैन के सिवान को लिखे पत्र में नासा के प्रशासक ने कहा कि “ह्यूमन स्पेस फ्लाइट्स समेत कई मसलो पर वह इसरो के साथ कार्य करना जारी रखेंगे। यह निर्देश उन्हें उन्हें व्हाइट हाउस की तरफ से मिले हैं।”
उन्होंने कहा कि “जिस प्रकार हमारी साझेदारी आपके साथ है, हम नासा-इसरो ह्यूमन स्पेस फ्लाइट वर्किंग ग्रुप, प्लेनेटरी साइंस वर्किंग ग्रुप, यूएस इंडिया अर्थ साइंस वर्किंग ग्रुप और हेलिओफीसिक्स वर्किंग ग्रुप के इस्तेमाल पर कार्य करना जारी रखेंगे।”
पत्र में उन्होंने लिखा कि “हमने हाल ही में आपको नासा-इसरो ह्यूमन स्पेस फ्लाइट वर्किंग ग्रुप की गतिविधियों पर रोक के बाबत पत्र लिखा था। 4 अप्रैल को लिखे गए पत्र से यह सहयोग बरकरार है।”
हाल ही में नासा के प्रमुख ने टाउन हॉल में भारत के एंटी मिसाइल सैटेलाइट के परिक्षण की आलोचना की थी क्योंकि इस टेस्ट से अंतरिक्ष में काफी मलबा उत्पन्न हुआ था और इससे इंटरनेशनल स्पेस सिस्टम को काफी खतरा है। उन्होंने कहा कि “सभी टुकड़े बड़े नहीं है जिन्हे ट्रैक किया जा सके। बड़े मलबों को ट्रैक किया जा सकता है। हम 10 सेंटीमीटर और उससे बड़े 60 टुकड़ों को ट्रैक कर चुके हैं। लेकिन 24 टुकड़े इंटरनेशनल स्पेस सिस्टम की पराकाष्ठा से ऊपर जा रहे हैं।”
पत्र में उन्होंने लिखा कि “जैसे हमने स्पष्ट किया था, अमेरिका के लिए अंतरिक्ष में मलबा बेहद खतरनाक है क्योंकि यह खतरे को बढ़ा रहा है। यह उन सभी देशों की जिम्मेदारी है जो अंतरिक्ष का संचालन करते हैं। हम परिक्षण से सृजित मलबे पपर निगरानी रखना जारी रखेंगे क्योंकि यह ह्यूमन स्पेसफ्लाइट की गतिविधियों, विशेषकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की सुरक्स्ख से जुड़ी हुई है।”
नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि “भारत ने अपना नाम अंतरिक्ष के ताकतवर देशों की सूची में शामिल कर लिया है।अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत यश मुकाम हासिल करने वाला चौथा देश है। मिशन शक्ति को बेहद मुश्किल लक्ष्य को भेदना था, जिसे मात्र 3 मिनट में सफलतापूर्वक लांच कर दिया था।”