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    नहीं रहे भारतीय गर्भनिरोधक क्रांति के सूत्रधार डॉ. नित्य आनंद

    भारत के चिकित्सा जगत और महिला स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक युग का अंत हो गया है। डॉ. नित्य आनंद, जिन्होंने देश का पहला मौखिक गर्भनिरोधक ‘सहेली’ विकसित किया था, उनका शनिवार को लखनऊ के एसजीपीजीआईएमएस में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।

    99 वर्ष की आयु में डॉ. आनंद का देहांत हुआ, लेकिन उनके कार्यों की विरासत भारतीय समाज में अनंतकाल तक जीवित रहेगी। 1971 में उन्होंने ‘सहेली’ का आविष्कार किया, जो दुनिया का पहला नोन्स्टेरॉयडल स्टेरॉयडल गर्भनिरोधक था। यह एक क्रांतिकारी खोज थी, जिसने भारतीय महिलाओं को गर्भधारण नियंत्रण का एक सुरक्षित और आसान विकल्प प्रदान किया। ‘सहेली’ ने न केवल परिवार नियोजन बल्कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    1 जनवरी, 1925 को लायलपुर, अब फैसलाबाद, पाकिस्तान में जन्मे डॉ. नित्यानंद एक औषधीय रसायनज्ञ थे, जिन्होंने 1951 शुरू हुए सीएसआईआर-सीडीआरआई में और 1974 से 1984 तक केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ के निदेशक के रूप में भी कार्य किया।

    उन्होंने लाहौर से स्नातक की पढ़ाई की और फिर लंदन में मेडिसिन की पढ़ाई के लिए चले गए। भारत लौटने के बाद उन्होंने सीएसआईआर की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन में शामिल होकर शोध कार्य शुरू किया। गर्भनिरोधक क्षेत्र में उनकी गहन खोजों ने ‘सहेली’ को जन्म दिया।

    ‘सहेली’ के विकास के बाद भी डॉ. आनंद महिला स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार काम करते रहे। उन्होंने परिवार नियोजन के क्षेत्र में जागरूकता फैलाने और सरकारी कार्यक्रमों को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। 2005 में, भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी) ने उन्हें अपनी वैज्ञानिक समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया। 2012 में उनके अथक प्रयासों के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

    डॉ. आनंद केवल एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ही नहीं थे, बल्कि वह एक संवेदनशील इंसान भी थे। वह हमेशा महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों के लिए मुखर रहते थे। उनकी विनम्रता और सहृदयता ने उन्हें चिकित्सा जगत में और समाज में सभी का सम्मान प्राप्त हुआ।

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