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    नसीरुद्दीन शाह के समर्थन में आये अमर्त्य सेन

    नोबेल पुरुस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की तरफ अपना समर्थन जताया है। शाह को कुछ दिनों से उनके भीड़ हत्या वाले बयां और एमनेस्टी इंडिया की विडियो में सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए कड़ी निंदा का सामना करना पड़ रहा है। मगर सेन ने ये दावा किया है कि बॉलीवुड अभिनेता को परेशान करने के लिए ये सारी कोशिशें की जा रही हैं।

    उनके मुताबिक, “हमें अभिनेता को परेशान करने वाली कोशिशों के खिलाफ विरोध करना चाहिए। ये जो कुछ भी हो रहा है, आप्पतिजनक है। दूसरों को झेलने की क्षमता खोना वास्तव में चिंता का विषय है। इससे कुछ सोचने की और विश्लेषण करने की क्षमता ही खो जाती है।”

    इससे पहले अभिनेता-लेखक आशुतोष राणा ने भी नसीरुद्दीन शाह के ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ वाले विडियो पर कहा था कि लोगों को अपने विचार ऐसे अपमानजनक तरीके से नहीं पेश करने चाहिए।

    उनके मुताबिक, “आज़ादी और घबरा जाना दो अलग अलग चीज़े होती हैं। मुझे लगता है कि ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ वाली स्पीच होनी चाहिए, घबराने वाली स्पीच नहीं। अभिव्यक्ति की आज़ादी में, दो लोगों की राय में अंतर हो सकता है मगर मगर ये जरूरी नहीं है कि हम अपने विचार अपमानजनक तरीके से व्यक्त करे। मैं ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ का पूरी तरीके से समर्थन करता हूँ और हर किसी के पास ये आज़ादी होनी चाहिए मगर हमें ये भी याद रखना चाहिए कि हम एक दूसरे के दुश्मन नहीं है, बस सब की राय अलग है।”

    दरअसल एमनेस्टी इंडिया ने एक विडियो जारी किया था जिसके लिए #अबकीबारमानवअधिकार (#AbkiBaarManavAdhikaar) का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने ये दावा किया था कि इंडिया में अभिव्यक्ति की आज़ादी और मानव अधिकार रक्षकों को बड़े पैमाने पर नीचे धकेलने की कोशिश की गयी है।

    उनके अनुसार, “आइये इस साल हम सब अपने संविधानिक मूल्यों के लिए खड़े हो और भारत सरकार को ये बताएं कि कार्यवाई को अब खत्म होना पड़ेगा।”

    एमनेस्टी इंडिया के एक सदस्य आकार पटेल ने कहा था कि हमेशा से ही ऐसा लगता है कि सारी चीज़े मानव अधिकार रक्षकों के खिलाफ ही हो रही है मगर मानव अधिकार हमेशा जीता है और इस बार भी जीतेगा।

    दरअसल इस विडियो में शाह ने कहा था-“हक के लिए आवाज़ उठाने वाले जेलों में बंद हैं। कलाकार, फनकार, विद्वान, शायरों के काम पर रोक लगाई जा रही है। पत्रकारों को भी खामोश किया जा रहा है। मजहब के नाम पर नफरतों की दीवार खड़ी की जा रही हैं। मासूमों का क़त्ल हो रहा है। पूरे मुल्क में नफरत और जुल्म का बेख़ौफ़ नाच जारी है।”

    “क्या हमने ऐसे ही मुल्क के ख्वाब देखे थे जहाँ असंतोष की कोई गुंजाईश ना हो? जहाँ सिर्फ अमीर और ताकतवर की ही आवाज़ सुनी जाये, जहाँ गरीब और कमज़ोर को हमेशा कुचला जाए? जहाँ कानून था अब वहाँ केवल अँधेरा है।”

    शाह ने पिछले महीने भी एक विवादित बयां दिया था जब उन्होंने कहा था कि एक गाय की मौत की कीमत एक पुलिस अधिकारी की मौत से ज्यादा हो गयी है। वे बुलंदशहर में हुई भीड़ हत्या पर अपना बयां दे रहे थे। उन्होंने कहा था कि वे देश में अपने बच्चो की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। अगर कभी किसी ने उनके बच्चो से पूछ लिया कि वे हिन्दू है या मुस्लिम, तो उनके बच्चे जवाब नहीं दे पाएँगे।

    उन्हें अपने बयां के लिए कई राजनेताओं की तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा था।

    https://youtu.be/Uh18VUfQJvA

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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