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    नसीरुद्दीन शाह ने फिर दिया विवादित बयान: पूरे मुल्क में नफरत और जुल्म का बेख़ौफ़ नाच जारी है

    लगता है कि इतनी तीखी प्रतिक्रिया मिलने पर भी नसीरुद्दीन शाह की आवाज़ धीमी होने वाली नहीं है। असहिष्णुता वाली टिपण्णी के बाद अब शाह को एमनेस्टी इंडिया के एक वीडियो में असंतोष की आवाज़ों की गूंज पर चिंता व्यक्त करते हुए देखा गया है।

    विडियो में शाह कहते हुए नज़र आ रहे हैं-“हक के लिए आवाज़ उठाने वाले जेलों में बंद हैं। कलाकार, फनकार, विद्वान, शायरों के काम पर रोक लगाई जा रही है। पत्रकारों को भी खामोश किया जा रहा है। मजहब के नाम पर नफरतों की दीवार खड़ी की जा रही हैं। मासूमों का क़त्ल हो रहा है। पूरे मुल्क में नफरत और जुल्म का बेख़ौफ़ नाच जारी है।”

    “क्या हमने ऐसे ही मुल्क के ख्वाब देखे थे जहाँ असंतोष की कोई गुंजाईश ना हो? जहाँ सिर्फ अमीर और ताकतवर की ही आवाज़ सुनी जाये, जहाँ गरीब और कमज़ोर को हमेशा कुचला जाए? जहाँ कानून था अब वहाँ केवल अँधेरा है।”

    शाह ने पिछले महीने बुलंदशहर में हुई भीड़ हत्या पर अपना बयां देने के कारण बहुत से लोगो की कड़ी निंदा का सामना किया था। उन्होंने कहा था कि वे देश में अपने बच्चो की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। अगर कभी किसी ने उनके बच्चो से पूछ लिया कि वे हिन्दू है या मुस्लिम, तो उनके बच्चे जवाब नहीं दे पाएँगे।

    उनके इस बयां से कई बड़े बड़े राजनेताओ ने शाह को घेरे में लिया था। कई ने तो ये भी कह दिया था कि अगर उन्हें इस देश में इतनी ही सुरक्षा की चिंता होती है तो वे पाकिस्तान जा सकते हैं। कुछ लोगो ने अगर शाह की अभिव्यक्ति की आज़ादी का समर्थन किया भी तो बाद में ये कह दिया कि देश में कोई असहिष्णुता नहीं है।

    एमनेस्टी इंडिया द्वारा ट्विटर पर जारी किए विडियो में शाह ये कहकर शुरुआत करते हैं-“हमारे संविधान लागू होने पर उसके बुनियादी उसूल तय कर दिए गए थे जिसका मकसद ये था कि इंडिया के हर एक शहरी को सामाजी, मुआशी और सियासी इंसाफ मिल सके। सोचने की, बोलने की, किसी मजहब को मानने की और किसी की भी इबादत करने की आज़ादी हो। हर इन्सान को बराबर समझा जाये, हर इन्सान की जान और माल की इज्ज़त की जाये। हमारे मुल्क में जो लोग गरीबों के घर को, ज़मीनों को और रोजगारो को तबाह होने से बचाने की कोशिश करते हैं, ज़िम्मेदारी के साथ साथ अधिकारों की बात करते हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते हैं, तो ये लोग हमारे संविधान की रखवाली कर रहे होते हैं।”

    संयोग से, प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल अक्टूबर में बेंगलुरु में एमनेस्टी इंडिया के मुख्यालय पर छापा मारा था। अवैध रूप से विदेशी धन प्राप्त करने के लिए ये छापे मारे गए थे।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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