Tue. Nov 5th, 2024
    पाकिस्तान के अपदस्थ प्रधानमन्त्री नवाज़ शरफ और उनकी पुत्री मरयम

    पकिस्तान की सत्ता से बेदखल पूर्व प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ को लाहौर के कोट लखपत जेल में शिफ्ट कर दिया गया है।नवाज़ शरीफ को भ्रष्टाचार रोधी अदालत ने पनामा पेपर से सम्बंधित रिश्वतखोरी के आरोप में सात वर्ष की कारावास की सज़ा सुनाई थी। 69 वर्षीय नवाज़ शरीफ को अल अजीजिया स्टील मिल रिश्वतखोरी केस में सात साल की कैद की सजा मिली थी।

    कोट लखपत जेल में शिफ्ट

    अदालत के फैसले के बाद नवाज़ शरीफ को कोर्ट में ही गिरफ्तार कर लिया गया था और रावलपिंडी के अदिअला जेल ले जाया गया था।

    डॉन के मुताबिक नवाज़ शरीफ के आग्रह को स्वीकार करते हुए अदालत ने उन्हें लाहौर के कोट लखपत जेल में शिफ्ट कर दिया था। शरीफ ने अदालत में अर्जी दी थी कि वहाप्नी सज़ा को लाहौर के जेल में पूरी करना चाहते हैं, क्योंकि वहां उनके परिवारजन और चिकिस्तक मौजूद हैं।

    जेल में उच्च स्तर की सुविधाए हैं

    पाकिस्तान मुस्लिम के समर्थक जेल के बाहर एकत्रित हो रखे थे ताकि उनके नेता की एक झलक देखने को मिल जाए। बहरहाल, मजबूत सुरक्षा घेरा होने के कारण समर्थकों को जेल के नजदीक आने की अनुमति नहीं दी गयी थी। जेल प्रशासन के मुताबिक नवाज़ शरीफ को उच्च स्तर की सुविधाएं मुहैया की गयी है।

    जेल प्रशासन ने बताया कि उच्च स्तर के कैदियों को एक स्टडी टेबल, दो कुर्सियां, एक टीवी और अखबार मुहैया किया जाता है। साल 1990 में भ्रष्टाचार के केस में पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी को जिस बैरक में रखा गया था, नवाज़ शरीफ को वहीँ शिफ्ट किया गया है।

    कोट लखपत जेल पंहुचते ही, डॉक्टरों की एक टीम ने नवाज़ शरीफ का मेडिकल टेस्ट किया और उन्हें पूरी तरह स्वस्थ पाया है।

    पूर्व में नवाज़ शरीफ को हुई सज़ा

    न्यायाधीश ने कहा कि नवाज़ शरीफ के खिलाफ अल अजीजिया मामले से सम्बंधित कई सबूत है। उन्होंने कहा कि वह इस केस में पैसों की जानकारी पेश करने में असमर्थ रहे हैं। एवेनफील्ड प्रॉपर्टीज केस, फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट और अल अजीजिया स्टील मिल केस को भ्रष्टाचार विरोधी विभाग ने 8 सितम्बर 2017 को अदालत के समक्ष रखा था, इसकी कार्रवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने नवाज़ शरीफ को अयोग्य करार दिया था।

    जुलाई, 2018 में नवाज़ शरीफ, उनकी पुत्री मरयम और दामाद कैप्टेन मुहम्मद सफ़दर को क्रमशः बारह, आठ और एक वर्ष के कारावास की सज़ा सुनाई थी। अलबत्ता तीनो को सितम्बर 2017 में इस्लामाबाद उच्च न्यायलय ने जमानत दे दी थी।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *