Sun. Dec 22nd, 2024

    भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा है कि कृषि कानून की वापसी तक किसानों की घर वापसी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि किसान सर्दी, गर्मी, बरसात के बीच बार्डर पर डटे हुए हैं। किसान कृषि के काले कानून की वापसी चाहते हैं। सरकार को किसानों की मांग को सुननी चाहिए, लेकिन नहीं सुन रही है। सिवाया टोल से ट्रैक्टर रैली का नेतृत्व नरेश टिकैत ने संभाला। खुद ट्रैक्टर चलाते हुए वह रैली के साथ निकले।

    मेरठ से यात्रा शुरू करते हुए मोदीपुरम में भाकियू राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी तक किसानों की घर वापसी नहीं होगी। किसानों ने करो या मरो का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि किसान कृषि कानूनों को वापस कराकर ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि किसान अब तो 2022 के चुनाव में भी सोच-समझ कर फैसला करेंगे। आंदोलन जारी रहेगा।

    गाजीपुर बॉर्डर पर 26 को होने वाली किसान महापंचायत में आगे की रणनीति बनाई जाएगी। नरेश टिकैत ने कहा कि सरकार को देश के अन्नदाता किसानों के बारे में भी सोचना चाहिए। कृषि कानूनों से व्यापारियों को लाभ पहुंचाने की नीति है। किसानों को लाभ नहीं होने वाला है। किसान के हाथ से तो उसकी फसल और जमीन भी चली जाएगी। सरकार को किसानों के हित में किसान संगठनों से बातचीत कर समस्या का समाधान निकालना चाहिए।

    हजारों किसान पहुंचेंगे गाजीपुर बॉर्डर

    वहीं, वहीं भाकियू के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि हजारों किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ शामिल हो रहे हैं। सभी ट्रैक्टर पूर्णतया अनुशासन में चलते हुए गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं। जिससे किसी भी मुसाफिर को परेशानी का सामना न करना पड़े। रास्ते में अलग-अलग पड़ाव पर उस क्षेत्र के किसान भी अपने ट्रैक्टर के साथ जुड़ते चले जाएंगे। बता दें 26 जून को किसान गाजीपुर बॉर्डर पर तीनों कृषि कानून के खिलाफ एक बार फिर हुंकार भरेंगे।

    नए कृषि कानूनों में अब भूख के आधार पर कीमतें तय होंगी : राकेश टिकैत

    सहारनपुर और मुजफ्फरनगर से यूपी गेट पर किसानों का ट्रैक्टर मार्च पहुंचने से पहले भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा नए कृषि कानूनों से अब देश में भूख के आधार पर कीमतें तय होंगी। किसान का अनाज और रोटी अब तिजोरी में बंद होगी। जिस तरह कोरोना में लोग ऑक्सीजन के लिए गोदामों के बाहर खड़े रहे, ठीक उसी तरह रोटी के लिए भी लोग बड़ी-बड़ी कंपनी और गोदामों के बाहर खड़े नजर आएंगे। उन्होंने ट्रैक्टर मार्च को लेकर कहा 26 जनवरी की परेड की तरह यह भी ट्रैक्टरों का अभ्यास मार्च है। सरकार के दिमाग से 26 तारीख ना निकले और ट्रैक्टर दिल्ली तक का रास्ता ना भूल जाए, इसलिए ट्रैक्टर मार्च किया जा रहा है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *