प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को अमेरिकी रक्षा सचिव जिम मैट्टीस से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने रक्षा संबंधित विषयों पर चर्चा की। आपको बता दे, पिछले सप्ताह में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय(पेंटागन) ने अपने सबसे बड़े कमांड पसिफ़िक कमांड का नाम, भारत के क्षेत्र में बड़ते महत्व को देखते हुए बदलकर इंडो-पसिफ़िक कमांड कर दिया हैं। इससे भारत अमेरिका सम्बन्ध में भी मजबूती देखने को मिली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अपने तीन देशों की यात्रा के आखरी चरण में सिंगापोर में हैं। पीएम मोदी ने वहा शांगरी ला डायलॉग, इस क्षेत्रीय संगठन को संबोधित किया। पीएम मोदी और जिम मैट्टीस के बीच मुलाकात हुई, इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार अजित डोवाल भी मौजूद थे। एक घंटे तक चली मुलाकात में दोनों नेताओं ने पारस्परिक हितों के और वैश्विक विषयों पर चर्चा की।
शांगरी ला डायलॉग को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “एशियाई देशों में बदती तकरार विकास के लिए बाधक हैं। एशिया और विश्व के बेहतर भविष्य के लिए भारत और चीन को एक साथ मिलकर काम करना जरुरी हैं।”
मुक्त सागरी आवागमन के विषय में पीएम मोदी ने कहा, “ आंतरराष्ट्रीय नियमों के अंतर्गत सभी देशों को सागरी मार्गों का इस्तेमाल करने की आजादी होनी चाहिए। और विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाना जाना चाहिए।”
सेक्रेटरी मैट्टीस ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर सहमती जताई और उन्होंने कहा, विश्व के सभी सागरी मार्गों को सभी देशों के लिए खुला रखना, सभी विवादों को दूर करने का उपाय हैं। मैट्टीस ने कहा विश्व में स्थिरता और शांति बनाये रखने के लिए, भारत और अमेरिका को अन्य देशों के साथ मिलकर काम करना जरुरी हैं।
दक्षिण चीन सागर में चीन के बड़ते हस्तक्षेप के चलते अमेरिका और चीन के बीच तनाव उत्पन्न हुआ हैं, इस विषय में भी दोनों नेताओं के बीच चर्चा किए जाने की आशंका हैं।
अमेरिकी सरकार ने तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान भारत को मेजर डिफेन्स पार्टनर स्टेटस प्रदान किया था। और अब वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पसिफ़िक कमांड का नामकरण इंडो पसिफ़िक कमांड किया जाना, अमेरिका और भारत के बेहतर और अधिक प्रगाढ़ रिश्तों का संकेत हैं।
आपको बतादे, दक्षिण चीन सागर अन्तर्राष्ट्रीय मानकों अनुसार एक विवादित क्षेत्र हैं, जिसपर चीन, फिलिपींस, विएतनाम, मलेशिया और ब्रूनेई का दावा हैं। पिछले दिनों चीनी नौसेना द्वारा इस विवादित सागरी क्षेत्र में युद्ध अभ्यास किया गया, जिसकी अमेरिकी सरकार ने कड़े शब्दों में निंदा की।