शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलनों के तुरन्त पहले चीन अपने सदाबहार मित्र पाकिस्तान के बचाव में आ गया है।
हाल में ही प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने लन्दन में एक सभा के दौरान पाकिस्तान के संबन्ध में कहा था कि जो आतंकवाद निर्यात करने को अपना पेशा बना चुके हों, उन्हें जवाब देना भारत को आता है।
इसके बाद चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई दिया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी कार्यों को समर्थन दें।
इस बयान के पीछे मुख्य कारण है चीन मे होने वाला शंघाई सहयोग संगठन का सम्मेलन। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, दोनो ही जाएंगी।
ऐसे में चीन को चिंता सता रही है कि शंघाई सहयोग सम्मेलन के मंच का इस्तेमाल भारत पाकिस्तान प्रयोजित आतंकवाद के खिलाफ माहौल बनाने में करेगा
सुषमा स्वराज की मुलाकात चीन के विदेश मंत्री वैंग यी व राष्ट्रपति ज़ी ज़िंनपिंग से भी होनी तय है। सुषमा स्वराज इन मुलाकातों को भी पाकिस्तान के खिलाफ चीन पर समर्थन के लिए दबाव बनाने के लिए कर सकती हैं।
वहीं चीन भारत को मनाने की कोशिश करेगा कि इस सम्मेलन में भारत पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे ओर ज्यादा ना लताड़े।
चीन को भय है कि इस सम्मेलन के दौरान भारत व पाकिस्तानी नेताओं के बीच तीखी बहस चल सकती है।
नरेंद्र मोदी के बयान के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि पूरा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद से विचलित है और उम्मीद है कि सब पाकिस्तान के द्वारा आतंकवाद के खात्मे के लिए किये जा रहे कार्य का समर्थन करेंगे।
हुआ ने पूछे जाने पर बताया कि शंघाई सहयोग संगठन के इस सम्मेलन में आतंकवाद निस्तारण पर भी चर्चा होगी। हालांकि ये नहीं बताया गया की क्या पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा किया जायेगा या नहीं!
चीन पहले भी कई बार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है। मसूद अजहर को अतंर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने को लेकर चीन हर बार अपने वीटो का इस्तेमाल करता है।
अन्य मामलों पर भी चीन आतंकवाद के नाम पर भी पाकिस्तान के समर्थन में दिखा है। देखना यह है कि इस बार कैसे चीन शंघाई सहयोग संगठन में पाकिस्तान को बचाता है।