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    पीएम मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे

    भारत और जापान संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28-29 अक्टूबर को भारत-जापान सालाना शिखर सम्मेलन में शरीक होने जापान जायेंगे।

    इस समेल्लन के दौरान नरेन्द्र मोदी अपने जापानी समकक्ष शिंजो अबे से वार्ता करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली अधिकारिक यात्रा पर जापान गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के साथ संबंधों को मज़बूत बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

    नरेन्द्र मोदी और शिंजो अबे के मध्य मैत्रीपूर्ण रिश्ते कई बार देखने को मिले हैं। शिंजो अबे को तीसरी बार जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी का अध्यक्ष चुना गया है और उनके कार्यकाल को तील साल के लिए बढ़ा दिया गया है। ऐसे में प्रधानमंत्री पद पर शिंजो अबे लम्बे समय तक आसीन रहेंगे।

    जापान और भारत के मध्य समझौते हर क्षेत्र में मज़बूत हो रहे हैं। विशेषत रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों राष्ट्रों के मध्य सम्बन्ध प्रगाढ़ हुए है। भारत और जापान की सेनाओं के मध्य मिजोरम में धर्मं गार्डियन-2018 साझा अभ्यास आयोजित होगा। दोनों राष्ट्र रक्षा उद्योंगों में भी समझौते मज़बूत कर रहे है। भारत का महिंद्रा समूह और जापान का शिन्मव्या समूह ने रक्षा उपकरणों के उत्पादन के लिए हामी भरी है।

    भारत सरकार की मह्त्व्कांक्षी एक्ट ईस्ट पालिसी का महत्वपूर्ण भाग जापानी हिस्सेदारी पर निर्भर करता है। जापान भी भारत में सबसे बड़े निवेशकों की सूची में शुमार होना चाहता है। भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में ढांचों के निर्माण के लिए तत्पर है। दक्षिण एशिया के देशों में जापान भारत का एक विशाल आर्थिक साझेदार है।

    एशिया के भूराजनितिक जमीन में तीव्र गति से परिवर्तन इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र की सार्थकता की वृद्धि का एहसास दिलाता है। यह आधुनिक रक्षा ढांचे को चुनौती दे रहा है। अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया पश्चिमी पैसिफ़िक क्षेत्र में चीन की प्रभाव को झेल रहे हैं जबकि भारत और अमेरिका हिन्द महासागर में बढ़ते प्रभाव से चिंतित हैं।

    जापान के राष्ट्रपति शिंजो अबे ने साल 2007 में भारतीय संसद में इंडो-पसिफ़िक पर एक भाषण दिया था। उन्होंने कहा जापान के नज़रिए से इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र में सामान्य मूल्य स्वतंत्रता और लोकतंत्र है। चीन की बढती सैन्य और आर्थिक ताकत भारत और जापान जैसे देशों के लिए चिंता का सबब बन गये हैं। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने मिलकर क्वैड यानि चतुर्थ बनाया है।

    भारत और चीन के मध्य नरेन्द्र मोदी की वुहान की यात्रा के बाद कड़वाहट कम हुई है। बीआरआई का विरोध करने वाले अमेरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की साझा विरोध से दूरी बनाकर रखी है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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