भारतीय रिजर्व बैंक ने नए नोटों की छपाई में कमी कर दी है। नोटबंदी के बाद पिछले पांच सालों में ऐसा पहली बार हुआ है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि बैंकों की करेंसी चेस्ट में 500 और 1000 रुपए के नोट भरे पड़े हैं। यहां तक कि आरबीआई की तिजोरी में भी नए नोटों को रखने की कम ही जगह बची है।
मीडिया खबरों के अनुसार करीब 50-60 फीसदी पुराने और अमान्य नोटों को आरबीआई भेजा चुका है। 500 और 1000 रुपए के इन नोटोें को नष्ट करने से पहले इनकी गिनाई का काम जारी है। हांलाकि इस मामले में आरबीआई ने कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई ने नोटबंदी के बाद नए नोटों की आपूर्ति का टारगेट लगभग-लगभग पूरा कर लिया है। हालिया आंकड़ों के अनुसार 16 अक्टूबर 2017 तक देश में करीब 15.3 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोट प्रचलन में आ चुके थे। यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले मात्र दस फीसदी कम है।
इस मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि साल 2018 के लिए करीब 21 अरब मूल्य के नए नोटों को छापने का आर्डर दिया जा चुका है। जबकि पिछले साल करीब 28 अरब नोटों की छपाई का आर्डर दिया गया था। बैंक विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले साल 28 से 29 अरब नए नोटों की छपाई के पीछे मूल कारण यह था कि आरबीआई ने नोटों की नई सीरिज जारी की थी।
गौरतलब है कि आरबीआई ने अब तक 10, 20 तथा 50 रुपए के उन कटे-फटे तथा रद्दी नोटों को बदलने पर कोई विचार नहीं किया है। आपको बतादें कि 10,20 तथा 50 रुपए के करीब 12 अरब नोटों को नोटबंदी के समय नकदी की किल्लत दूर करने के लिए मार्केट में दोबारा लाया गया था।