राष्ट्रीय राजधानी के चितरंजन पार्क (सीआर पार्क) इलाके में स्थित काली मंदिर में लाखों रुपयों का घोटाला सामने आया है। करीब डेढ़ किलोग्राम सोना और 50 किलोग्राम (आधा कुंटल) चांदी मंदिर लॉकर से गायब है। इस सिलसिले में मौजूदा मंदिर प्रबंधन समिति ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में एक एफआईआर दर्ज कराई है, और पुलिस मामले की जांच कर रही है।
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के अतिरिक्त आयुक्त ओ.पी. मिश्रा ने सोमवार को आईएएनएस को बताया, “मौजूदा मंदिर प्रबंधन समिति ने संदेह होने पर आंतरिक जांच कराई थी। जांच में पता चला कि आधा कुंटल चांदी और करीब एक किलो चार सौ ग्राम सोना मंदिर लॉकर से गायब है।”
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को इस मामले में मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज कराई गई। एफआईआर के मुताबिक, “मौजूदा प्रबंधन समिति को सन 2013 में एक ज्वैलर से जारी एक वैल्यूएशन सर्टिफिकेट मिला, जिसमें जिक्र है कि मंदिर को सालाना चढ़ावे के रूप में 26 पैकेट्स सोने के जेवरात के और करीब 16 अन्य पैकेट (स्वर्ण के) मिले थे। सर्टिफिकेट से ही मंदिर प्रबंधन समिति को मालूम हुआ कि इन सभी चीजों को सुनार ने अपनी दुकान में ही गला दिया था।”
संदेह होने पर वर्तमान में मंदिर का प्रबंधन देख रही समिति के पदाधिकारियों ने छानबीन की तो पता चला कि संबंधित सर्टिफिकेट फर्जी है। ज्वैलर ने मंदिर का कोई सोना चांदी न तो लिया, न ही गलाया था। ऐसे मे सवाल पैदा हुआ कि आखिर फिर सोना-चांदी गया कहां? साथ ही वैल्यूएशन सर्टिफिकेट भी फर्जी है क्या?
आगे की आंतरिक पड़ताल में समिति को संबंधित ज्वैलर से पता चला कि उससे पूर्व प्रबंधन समिति के कुछ पदाधिकारियों ने करीब 1.4 किलोग्राम सोना और चांदी का वजन कराया था। वजन करके ज्वैलर ने वजन कीमत और शुद्धता का प्रमाण-पत्र पूर्व मंदिर प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों को सौंपा था।
ईओडब्ल्यू में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, “मई 2013 का बैंक रिकार्ड चेक किया गया तो पता चला कि उन दिनों में बैंक लॉकर का भी इस्तेमाल नहीं किया गया। साथ ही सुनार से मिले वैल्यूएशन सर्टिफिकेट का जिक्र उस साल की बैलेंश शीट में भी नहीं किया गया। मंदिर प्रबंध समिति को यह भी पता चला कि बैंक लॉकर में रखे गए संबंधित माल से संबंधित सभी लिखित दस्तावेज भी गायब हैं।”