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    खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया की छत्तीसगढ़ में धान की खरीद जल्द ही बढे हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ शुरू होगी। ऐसा कांग्रेस सरकार ने किसानों के हालत को सुधारने के लक्ष्य के लिए किया जा रहा है।

    धान का नया न्यूनतम समर्थन मूल्य :

    धान का बढ़ा हुआ मूल्य 1750 रूपये प्रति क्विन्टल से लेकर 2500 रूपये प्रति क्विन्टल तक होगा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद, भूपेश भगेल ने कल इस साल धान के एमएसपी में 2,500 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा की थी।

    बढे न्यूनतम समर्थन मूल्य का असर :

    बढे हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य का एलान होते ही धान उगाने वाले छत्तीसगढ़ एवं पडोसी राज्य के किसानों ने कांग्रेस सरकार द्वारा कि गयी MSP वृद्धि के वादे का लाभ उठाने के लिए दूसरी एजेसियों को अपनी पैदावार बेचना बंद कर दिया है।

    यहाँ तक कि सरकार ने हर बार कि तरह 55 लाख टन पैदावार खरीदने के लक्ष्य से ऊपर जाने का फैसला किया है। ऐसा फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि पडोसी राज्य जैसे तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश के किसान भी बढे समर्थन मूल्य का फायदा उठाने के लिए अपनी पैदावार छत्तीसगढ़ सरकार को बेचने को आतुर हैं।

    खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी का बयान

    “धान की अभी तक एक तिहाई खरीदारी हो चुकी है एवम न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से यह फिर से गति पकड़ेगी। बढे हुए समर्थन मूल्य की वजह से खरीद निश्चित लक्ष्य को पार करेगी क्योंकि दुसरे राज्य के किसान छत्तीसगढ़ सरकार को अपनी पैदावार बेचने को आतुर हैं।” अधिकारी ने PTI को बताया।

    जब उनसे पुचा गया की इसका खर्च कोजं उठाएगा तो उन्होंने बताया कि अभी इसकी कोई चर्चा नहीं है तो माना जा रहा है की राज्य सरकार ही इसका वहन करेगी। छत्तीसगढ़ से निकलने से पहले बीजेपी सरकार ने 1,750 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी के ऊपर और ऊपर 200 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस घोषित किया था, इस साल कुल समर्थन मूल्य 1,950 रुपये हो गया था।

    वर्तमान खरीद के आंकड़े

    वर्तमान में देशभर में सरकार की धान की खरीद 204 लाख टन पहुँच चुकी है एवम निर्धारित लक्ष्य 375 लाख टन है। पिछले वर्ष सरकार ने 381 लाख टन धान की खरीदारी कि थी।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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