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    अर्थव्यवस्था प्रधानमंत्री मोदी

    देश के राजकोषीय घाटे में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखने को मिली है। रायटर्स के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष देश का राजकोषीय घाटा पहली छमाही के लिए निर्धारित देश के कुल बजट का 95.3 प्रतिशत पहुँच चुका है। वहीं पिछले साल इसी दौरान यह आँकड़ा 91 प्रतिशत था।

    इस तरह से इस वर्ष देश के राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी देखने को मिली है।

    हालाँकि सरकार ने इस वर्ष के लिए निर्धारित कुल बजट का 53.4 प्रतिशत हिस्सा खर्च कर लिया है, जबकि पिछले साल इस दौरान यह हिस्सा 53.5 प्रतिशत था।

    इस दौरान सरकार को कम राजस्व की भी प्राप्ति हुई है, इसी वजह से देश के राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी देखने को मिली है।

    सरकार इस दौरान बता रही है कि इस बार देश के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य देश की जीडीपी का 3.3 प्रतिशत रखा गया है। जबकि पिछले वर्ष यानि 2017-2018 में यह लक्ष्य 3.2 प्रतिशत का रखा गया था, जिसे पार करते हुए राजकोषीय घाटा देश की कुल जीडीपी का 2.5 प्रतिशत तक पहुँच गया था।

    अप्रैल-सितंबर की छमाही के लिए देश में राजकोषीय घाटा 5.95 लाख करोड़ का रहा है, जबकि इस दौरान कुल बजट 6.24 लाख करोड़ रुपए था।

    वहीं सरकार ने इस दौरान पूंजीगत बजट का 54.2 हिस्सा खर्च कर लिया है, जबकि पिछले वर्ष में 47.3 प्रतिशत की तुलना में यह काफी कम है।

    इसी के चलते देश में कर को लेकर भी संशय बना हुआ है। माना जा रहा है कि ऐसी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए देश में जीएसटी के जरिये एकत्रित होने वाले कर में भी कमी देखने को मिल सकती है।

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