सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जुलाई-सितंबर के लिए त्रैमासिक वृद्धि के आंकड़े शुक्रवार को जारी किए जाने हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि इसमें 4.3 से 4.7 फीसदी वृद्धि होगी, जोकि पहली तिमाही में रही पांच फीसदी वृद्धि दर से कम है।
कोर सेक्टर और औद्योगिक वृद्धि (आईआईपी) दोनों की हालत अगस्त और सितंबर महीने के दौरान खराब रही। वित्त मंत्रालय के सूत्रों का मानना है कि जुलाई-सितंबर तिमाही तिमाही के दो महीनों में कोर सेक्टर और आईआईपी की हालत बेहद खराब रही है, जिसका असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर पड़ेगा।
स्कोच समूह के अध्यक्ष समीर कोचर ने शुक्रवार को कहा कि दूसरी तिमाही में वृद्धि दर 4.5 होगी। उन्होंने कहा कि पांच खरब डॉलर के लक्ष्य को पूरा करने के लिए दोहरे अंक की वृद्धि दर आवश्यक है।
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर केवल 4.2 फीसदी आंकी गई थी। बैंक इसे कम ऑटोमोबाइल बिक्री, वायु यातायात में मंदी, कोर सेक्टर की खस्ता हालत और निर्माण एवं बुनियादी ढांचे के निवेश में गिरावट को वजह मानता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020 के लिए विकास का अनुमान अब 6.1 से घटकर महज पांच फीसदी रह गया है।
संसद में बुधवार को आर्थिक मंदी पर बहस के दौरान विपक्षी दलों ने कहा कि लाखों लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं और देश को आर्थिक आपातकाल का सामना करना पड़ रहा है।
अपने जवाब में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती जरूर आई है, मगर यह मंदी नहीं है। इस दौरान उन्होंने आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिए कई सरकारी उपायों का हवाला भी दिया।
कोर सेक्टर ने 14 साल में सबसे खराब प्रदर्शन किया है और सितंबर में यह 5.2 फीसदी सिकुड़ गया। अधिकारियों के अनुसार, इससे दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर प्रभावित हुई।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात, सीमेंट सहित आठ प्रमुख क्षेत्रों के उत्पादन में सितंबर में गिरावट आई है। इस दिशा में उर्वरक एकमात्र अपवाद है।