नई दिल्ली, 7 मई (आईएएनएस)| दिल के मरीजों की बेहतर देखभाल नहीं होने के कारण मौत हो जाने संबंधी हालिया रिपोर्ट चौंकाने वाली है। त्रिवेंद्रम हार्ट फेलियर रजिस्ट्री (टीएचएफआर) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हार्ट फेलियर के 31 फीसदी मरीजों ने अस्पताल से डिस्चार्ज होने के एक साल के भीतर ही दम तोड़ दिया।
रिपोर्ट के अनुसार, उचित देखभाल के अभाव में अस्पताल से डिस्चार्ज होने के पहले तीन महीनों के भीतर ही हार्ट फेलियर के 45 फीसदी मरीजों की मौत हो गई।
इस रिपोर्ट से जाहिर है कि दिल के मरीजों के अस्पताल से डिस्चार्ज होने के उनकी बेहतर देखभाल की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया गया कि भारत में दिल की बीमारी एक महामारी बनकर उभर रही है और देश में करीब 80 लाख से 1 करोड़ लोग दिल की बीमारी से पीड़ित हैं।
इंटरनेशनल कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (आईएनटीईआर-सीएचएफ) के अध्ययन के अनुसार, पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में निम्न और मध्यम वर्ग के लोग इस बीमारी के ज्यादा शिकार होते हैं। हार्ट फेलियर के संबंध में जनजागरूकता का अभाव, बीमारी के लक्षणों को पहचनाने में देरी, जल्दी जांच और इलाज की समझ न होना और भारत में हार्ट फेलियर के इलाज के सीमित विकल्प के कारण मरीजों की असमय मौत हो जाती है।
कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) के अध्यक्ष डॉ. केवल गोस्वामी के अनुसार, “दिल की मांसपेशियों के कमजोर होने का कोई विशेष कारण नहीं है। पहले दिल का दौरा पड़ना, इश्चेमिक हार्ट डिजीजेज, परिवार में ह्दय रोग के आनुवांशिक इतिहास, शराब या नशे का सेवन करने, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी स्थिति हार्ट फेलियर का कारण बन सकती है।”
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उन्होंने कहा, ” चिंता की बात यह है कि 50 साल से अधिक उम्र के लोग ही इसके लक्षणों को पहचानकर कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करते हैं। सांस लेने में तकलीफ, टखनों, पैर और पेट में सूजन आना व काम समय थकान महसूस करना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं।”
मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पाल मे ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ. देव पहलजानी कहते हैं, “हार्ट फेलियर के अधिकतर मरीजों की उम्र 50 साल से ऊपर होती है। इसमें से कम से कम 40 फीसदी महिला मरीज हैं। डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां और अनियमित जीवनशैली से दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।”
हार्ट फेलियर पर सबसे बड़ी क्लीनिकल ग्लोबल स्टडी-पीएआरएडीआईजीएम-एचएफके अनुसार, एआरएनआई थेरेपी जैसे आधुनिक इलाज के विकल्पों के साथ जीवन शैली में सुधार से हार्ट फेलियर के मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। इससे मृत्युदर और अस्पताल में बार-बार भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में 20 फीसदी की कमी आ सकती है।
उन्होंने कहा कि दिल के मरीजों के लिए तेलीय पदार्थ, सिगरेट और शराब का सेवन हानिकारक है।