राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोगों को तभी पीने का स्वच्छ पानी मिल पाएगा, जब यमुना जल की सफाई कर दी जाएगी। यह बात सोमवार को यहां भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति अनिवार्य करने को लेकर आयोजित एक कार्यशाला में सामने आई, जिसका जिक्र केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने मीडिया से बातचीत के दौरान किया। पासवान ने कहा, “कार्यशाला के दौरान इस बात पर भी चर्चा हुई कि बीआईएस मानक के अनुसार स्वच्छ पानी की आपूर्ति के लिए जल के स्रोत की सफाई करनी होगी।”
बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि उनका (दिल्ली जल बोर्ड) कहना है कि औद्योगिकीकरण के कारण औद्योगिक कचरों से पानी का स्रोत दूशित हो रहा है, खासतौर से फार्माश्युटिकल्स के अपशिष्ट पदार्थों के कणों को मौजूदा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में दूर करना संभव नहीं है।
तिवारी ने कहा, “उनका कहना जायज है और हमने उनके तर्क को नोट कर लिया है कि हमें जल के स्रोत की सफाई के लिए उसका भी मानक तय करना चाहिए।”
पासवान ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा, “अगर महाराष्ट्र (मुंबई) में बीएसआई मानकों का शतप्रतिशत अनुपालन हो रहा है तो देशभर में क्यों नहीं हो सकता है।”
गौरतलब है कि उपभोक्ता मामले मंत्रालय के निर्देश पर दिल्ली सहित देश के 21 राज्यों की राजधानियों में नल के माध्यम से आपूर्ति किए जाने वाले पेयजल की शुद्धता की जांच के लिए नमूने लिए गए थे, जिसकी जांच रिपोर्ट पिछले महीने आने पर पाया गया कि दिल्ली में नल का पानी पीने लायक नहीं है। क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में 11 जगहों से लिए गए सभी नमूने बीआईएस के मानकों पर विफल पाए गए, जबकि मुंबई के सभी 10 मानक खरे उतरे।
पासवान ने बताया, “पीने का स्वच्छ पानी आपूर्ति किए जाने की अनिवार्यता को लेकर कार्यशाला में विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई और हमने आगे फिर इस पर और गहन विमर्श करने को कहा है कि आम लोगों को स्वच्छ पानी मुहैया करवाने के लिए हम क्या कर सकते हैं। अगले दो महीने में हम फिर इस मसले को लेकर मिलेंगे।”
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पूरे देश में पानी की स्वच्छता के लिए बीआईएस के मानकों का ही पालन होता है, और बीआईएस के मानक विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूरोपीय मानकों के समान हैं।
उन्होंने कहा, “हमने राज्यों से आए प्रतिनिधियों से पूछा कि आपके जल बोर्ड का मानक कोई अलग है क्या, तो सबने बताया कि वे बीआईएस के मानकों का ही अनुपालन करते हैं।”