पिछले हफ्ते ही केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि वह अपनी तरफ से पेट्रोल-डीज़ल के दामों में 2.5 रुपये प्रति लीटर की छूट देगी, इसी के साथ केंद्र ने सभी राज्यों से भी यह अनुरोध किया था कि वे भी अपनी तरफ से वैट की दर को कम करके कुल 2.5 रुपये प्रति लीटर की छूट दें, जिससे आम नागरिक को कुल 5 रुपये प्रति लीटर की छूट मिल सके।
केंद्र के इस सुझाव को भाजपा शासित राज्यों ने तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया था, लेकिन बाकी राज्यों ने अपने तर्कों को सामने रखते हुए वैट में छूट देने से मना कर दिया।
इसी क्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा था कि वो राज्य में पेट्रोल-डीज़ल के दामों को कम नहीं कर सकते हैं। हाल ही में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बयान दिया है कि राज्य सरकार का फिलहाल काफी घाटे में चल रही है, ऐसे में राज्य सरकार पेट्रोल-डीज़ल के दामों को कम नहीं कर सकती है।
आगे मनीष सिसोदिया ने कहा है कि राज्य ने केंद्र द्वारा जीएसटी को अमल में लाने में पूरी मदद की है, लेकिन अब पेट्रोल के दामों को 10 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा देने के बाद 1.5 रुपये घटाने का कोई औचित्य नहीं है, जबकि राज्यों को इसकी तुलना में 2.5 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्त भार वहन करना होगा।
इसे लेकर दिल्ली राज्य के मुख्यमंत्री ने ट्वीट भी किया था-
मोदी सरकार ने एक्साइज़ ड्यूटी 10 रुपए प्रति लीटर बढ़ाई और मात्र 2.50 रुपए आज कम कर दी? ये तो धोखा हुआ। केंद्र सरकार को कम से कम 10 रुपए प्रति लीटर की कमी करनी चाहिए। https://t.co/WqBzarLLaD
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 4, 2018
इसी के बाद केजरीवाल ने यह तर्क रखते हुए राज्य में पेट्रोल-डीज़ल के दामों को बढ़ाने से माना कर दिया था। 4 सितंबर को इस घोषणा के बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार व महाराष्ट्र ने तत्काल प्रभाव से वैट में कमी कर नागरिकों को 2.5 रुपये की छूट देने का वादा किया था।
मालूम हो की देश भर में पेट्रोल-डीज़ल पर सबसे ज्यादा वैट मुंबई में लगता है, इस छूट के बावजूद वहाँ पेट्रोल के दाम अभी 87 रुपये प्रति लीटर से भी अधिक हैं।