Mon. Dec 23rd, 2024
    अरविंद केजरीवाल

    दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुख्य सचिव व राज्य में वरिष्ठतम नौकरशाह अंशु प्रकाश का मामला दिनो-दिन राजनीतिक रूप पकड़ता जा रहा है। आम आदमी पार्टी के दो विधायक अमानतुल्लाह खान व प्रकाश जारवाल को पुलिस ने मुख्य सचिव के साथ मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।

    लेकिन इसके बावजूद भी दिल्ली सरकार के प्रशासनिक अधिकारी काम पर लौटने व बैठकों में शामिल होने के लिए राजी नहीं है। आईएएस एसोशिएसन लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहा है। वहीं दिल्ली भाजपा भी इस मामले को उठाते हुए आप सरकार को घेर रही है।

    आप विधायकों की गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार ने हालिया संकट को लेकर अटकलों का अनुमान लगाया है कि केन्द्र राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति शासन लागू करने की योजना बना रहा है। यह बात संभवतः दिल्ली भाजपा इकाई द्वारा की जा रही है।

    बीजेपी की मांग है कि केजरीवाल सरकार को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। साथ ही भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के संगठनों ने इस घटना को शासन के विघटन की तरह बताया है।

    अब माना जा रहा है कि राज्य में शासन व्यवस्था संभालने वाले ही विरोध प्रदर्शन कर रहे है तो राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है इसलिए यहां पर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की जा रही है।

    हालांकि, भाजपा पार्टी के केन्द्रीय नेता अब तक इस मामले पर चुप रहे है। वहीं कांग्रेस ने कहा है कि बातचीत के जरिए इस संकट को हल किया जाना चाहिए।

    राष्ट्रपति शासन

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के मुताबिक भारत के राष्ट्रपति को राज्य के राज्यपाल से राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए रिपोर्ट भेजी जाती है। राष्ट्रपति शासन को आपातकालीन उपाय माना जाता है जिसका मतलब राज्य में संवैधानिक मशीनरी की विफलता है। केन्द्र सरकार दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगवाकर आप सरकार को हटा सकती है। हालांकि ये निर्णय राष्ट्रपति द्वारा ही किया जाता है।

    मुख्य सचिव के साथ मारपीट को लेकर दिल्ली भाजपा इकाई अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि केजरीवाल को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। साथ ही उनकी सरकार को भी खारिज किए जाने की मांग उठने लगी है।

    माना जा रहा है कि दिल्ली भाजपा राज्य में राष्ट्रपति शासन के लिए दबाव डालने का प्रयास कर रही है। वहीं केन्द्रीय नेतृत्व अभी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए समर्थन नहीं दे रहा है। दिल्ली भाजपा इसे संवैधानिक संकट के रूप में बता रही है। हालांकि आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति शासन की मांग नहीं की गई है।

    राष्ट्रपति शासन के लिए कोई आधार नहीं

    21 फरवरी को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली के उपराज्यपाल से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। अनिल बैजल के साथ आप पार्टी के नेताओ ने भी मुलाकात की थी।

    बैजल ने कहा था कि नौकरशाही व दिल्ली सरकार के बीच संवाद की कमी की वजह से ये घटना हुई। बैजल की प्रतिक्रिया केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति के शासन को लागू करने के प्रयास का आधार बन सकती है।

    वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े का कहना है कि राज्य में ये आपराधिक मामला है न कि कानून और व्यवस्था का टूटने का। राज्य में संवैधानिक संकट नहीं है। दिल्ली में नौकरशाह आप नेताओं के साथ बैठक से इंकार कर रहा है।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *