राजधानी दिल्ली में वायु प्रदुषण नियंत्रण से बाहर है। भारी मात्रा में वायु में जहरीले कण होने की वजह से धुंध का साया बना हुआ है। दिल्ली सरकार ने इससे निपटने के लिए कुछ कोशिशें जरूर की हैं, लेकिन उनका कुछ फायदा होता नजर नहीं आ रहा है।
एक संस्था द्वारा शोध से पता चला है कि दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गयी ओड-इवन योजना प्रदुषण को रोकने में पूरी तरह से नाकाम रही है। (सम्बंधित : वायु प्रदुषण रोकने के लिए दिल्ली में ओड-इवन लागू ) इस योजना में सरकार ने बड़े ट्रक और दोपहिया वाहनों पर कोई फैसला नहीं किया है, जबकि सबसे ज्यादा प्रदुषण इन्ही से होता है।
ऐसे में केंद्र सरकार ने वायु प्रदुषण से निपटने के लिए प्रयास शुरू किये हैं। दिल्ली में प्रदुषण का सबसे बड़ा कारण है, किसानों द्वारा फसलों का जलाना। ऐसे में केंद्र सरकार इस मामले में किसानों से बात करने की कोशिश कर रही है। सरकार ने कहा है कि यह कोशिश की जायेगी कि किसान अपनी फसल ना जलाएं।
सरकार इसके लिए कई उपायों पर फैसला कर रही है। उदाहरण के तौर पर सरकार की कोशिश है कि जिस बची हुई फसल को किसान जलाते हैं, उसे बिजली बनाने या खाद तैयार करने में प्रयोग की जाए।
इसके अलावा सरकार की कोशिश है कि किसानों को आर्थिक मदद दी जाए, जिससे वे फसलों को ना जलाएं।
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने दिल्ली में चलने वाले बड़े वाहनों और ट्रकों पर रोक लगाने की योजना बनायी है। सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में दिल्ली के चारों ओर रिंग रोड बनाने का प्रस्ताव किया था, जिसके बनने पर बड़े वाहनों को दिल्ली में घुसने की जरूरत ही नहीं होगी।
इसके साथ ही गडकरी ने दिल्ली के लोगों को गाडी ना खरीदने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था कि सरकार की पूरी कोशिश है कि अप्रदूषित और विद्युत सार्वजनिक बसों को ज्यादा से ज्यादा सड़कों पर उतारा जाए। इसके लिए लोगों से यह आग्रह है कि वे सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें।
वातावरण सेक्रेटरी सी के मिश्रा की अगुवाई में एक दल का गठन किया जाएगा जो हर सप्ताह दिल्ली की वायु की जांच करेंगे। इसके साथ ही सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि शहर में किसी प्रकार के कूड़े आदि को ना जलाया जाए।
सरकार ने अधिकारीयों को विभिन्न उपाय निकालने को कहा है जिससे फैक्ट्रियों से निकलने वाली जहरीली गैसों पर नियंत्रण पाया जा सके।
इसके साथ ही सरकार की कोशिश है कि इलाके में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को रोका जाए। इसके लिए सरकार ने एक समय सारिणी तैयार करने को कहा है जिसमे निर्माण कार्यों का उल्लेख हो।
इस सारिणी के जरिये सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि अगले साल किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य ना हो। इसके बाद वाले सालों में अक्टूबर से दिसंबर के महीनों में निर्माण कार्य को रोका जाए।