चाहे इसे चुनावी माहौल में नियंत्रण कह लें या प्रशासनिक कीमत निर्धारण व्यवस्था की वापसी, लेकिन लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 19 मई को मतदान संपन्न होने से पहले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पेट्रोल का दाम 75 रुपये प्रति लीटर से ऊपर नहीं जा सकता है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों से तेल की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण में अनिश्चितता के किसी मामले को ध्यान में नहीं रखने को कहा है चाहे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में इजाफा होने और रोजाना कीमत निर्धारण में कीमतों को नियंत्रण में रखना असंभव हो।
तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोल के दाम को लेकर कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया गया है, लेकिन इसके सबसे बड़े अंशधारक होने के कारण सरकार ने अपने नियंत्रण की कवायद की है जाकि कंपनियों खुदरा कीमतों में वृद्धि का एक अंश का वहन करें और उपभोक्ताओं को चुनाव के दौरान बहुत ज्यादा कीमतों का भुगतान करने से बचाएं।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, “(दिल्ली में ) पेट्रोल का दाम 75 रुपये लीटर एक मनोवैज्ञानिक स्तर है जिससे केंद्र की सहूलियत पर कोई असर नहीं होगा। चुनाव के दौरान इसके ऊपर की कीमत से सत्ताधारी पार्टी के लिए प्रतिकूल स्थिति पैदा होगी।”
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी के एक अधिकारी से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने पेट्रोल और डीजल के दाम पर नियंत्रण रखने के लिए सरकार की ओर से किसी प्रकार का निर्देश मिलने की बात से इनकार किया, लेकिन वह इस बात से सहमत थे कि पेट्रोल और डीजल के दाम (बिल्टअप प्राइस) में पिछले कुछ दिनों से संशोधन नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा, “पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें कई कारकों पर निर्भर करते हैं और कीमतों का निर्धारण महज अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में उतार-चढ़ाव पर निर्भर नहीं करता है।”
दिल्ली में पेट्रोल का दाम मंगलवार को 72.95 रुपये लीटर था जोकि 75 रुपये लीटर के काफी करीब है।
अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध के बाद भारत समेत कुछ प्रमुख तेल आयातकों को ईरान से कच्चे तेल का आयात करने की दी गई छूट वापस लेने के फैसले के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव 73 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर हो गया है।