जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रों द्वारा सोमवार को भीकाजी कामा प्लेस के निकट रिंग रोड के एक भाग में एकत्र होने की वजह से दक्षिण दिल्ली में बड़ा जाम लग गया। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने छात्रों पर लाठी चार्ज किया, जिससे वे अपने तय मार्ग से इधर-उधर चले गए।
वाहनों की लंबी कतारों में कई एंबुलेंस फंस गए, जो धौला कुआं की तरफ जाने वाले संकरे रास्ते पर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे।
रिंग रोड पर कई अस्पताल हैं, जिसमें एम्स, सफदरजंग और मूलचंद अस्पताल शामिल हैं।
दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों पर लाठी चार्ज किया। छात्र अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए राष्ट्रपति भवन की तरफ मार्च कर रहे थे।
दक्षिणी दिल्ली के भीकाजी कामा प्लेस इलाके में लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश के बाद पुलिस ने छात्र व छात्राओं पर लाठी चार्ज किया।
#WATCH: Police resorted to lathicharge after a clash with protesting Jawaharlal Nehru University (JNU) students, who were marching towards Rashtrapati Bhawan to meet President over fee hike issue. pic.twitter.com/sAbuN05n2q
— ANI (@ANI) December 9, 2019
इससे पहले दिन में सैकड़ों जेएनयू छात्रों ने जेएनयू परिसर से जुलूस निकाला। जुलूस चार घंटे देर से शुरू हुआ क्योंकि सुरक्षा बलों ने जुलूस को रोकने के लिए जेएनयू के सभी गेट सुबह में सील कर दिया। जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन की बहुत कोशिश के बाद जुलूस निकालने की इजाजत दी गई।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) ने जेएनयू से राष्ट्रपति भवन तक एक जुलूस का आह्वान किया था। जेएनयूएसयू ने इसका आह्वान अपने महीने भर लंबे विरोध प्रदर्शन के सकारात्मक नतीजे नहीं आने के बाद किया। प्रशासन ने उनकी हास्टल फीस की प्रस्तावित बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग को अस्वीकार कर दिया।
प्रस्तावित शुल्क वृद्धि को पूरी तरह से वापस लेने की मांग को लेकर छात्र एक महीने से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं।
हॉस्टल मसौदे में हॉस्टल का शुल्क 10 रुपये से बढ़ाकर दो लोगों के लिए 300 रुपये व एक लोगों के लिए 600 रुपये करने का प्रस्ताव है, जो पहले 20 रुपये था।
प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने बीपीएल श्रेणी के छात्रों के लिए 50 फीसदी रियायत की घोषणा की, लेकिन वह छात्रों को शांत कराने में विफल रहे।
इस मुद्दे को मानव संसाधन मंत्रालय की एक कमेटी संभाल रही है, जिसने छात्रों व उनके प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकों के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को अपनी सिफारिश दी है।