दिल्ली पुलिस ने एक ट्रायल कोर्ट को सूचित किया कि वह 2016 के जेएनयू देशद्रोह मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्राप्त करने में विफल रही थी। पुलिस ने ट्रायल कोर्ट को सूचित किया कि मुकदमा चलाने की मंजूरी, जो दिल्ली सरकार के पास लंबित है, कुछ दिनों में अपेक्षित थी।
कोर्ट ने जांच अधिकारियों को दिल्ली सरकार से फैसले को जल्द लाने के लिए कहने का आदेश दिया है। उन्होंने ये भी कहा कि प्रशासन किसी फाइल पर अनिश्चित समय तक बैठे नहीं रह सकते। कोर्ट ने कुमार और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी प्राप्त करने के लिए दिल्ली पुलिस को 28 फरवरी तक का समय दिया।
दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार के खिलाफ 2016 में जेएनयू में राष्ट्र-विरोधी समारोह आयोजित करने के लिए 1200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य और जम्मू-कश्मीर के सात छात्रों-अकीब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसोल, बशीर भट और बशारत को चार्जशीट में नामित किया गया है।
उनके ऊपर सांसद हमले के मास्टरमाइंड अफ़ज़ल गुरु की फांसी के खिलाफ कॉलेज कैंपस में समारोह आयोजित करने का इलज़ाम लगा हुआ है। उनकी गिरफ़्तारी से उस वक़्त काफी विवाद खड़ा हुआ था और विपक्ष ने पुलिस को ये कहकर लताड़ लगाई थी कि वे भाजपा के कहने पर ये सब कर रही है।
अपनी चार्जशीट में, दिल्ली पुलिस ने छह मोबाइल फोनों के वीडियो फुटेज पर भरोसा किया है, जिनमें से कम से कम तीन एबीवीपी की जेएनयू इकाई के वर्तमान या पूर्व सदस्यों के हैं, और एक कांस्टेबल का है।