गुरुवार को दिल्ली कोर्ट ने सुनंदा पुष्कर मामले में हो रही सुनवाई को 7 मार्च कर के लिए टालने का आदेश दिया है। कांग्रेस सांसद शशि थरुर के ऊपर उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा है।
पुलिस ने शशि थरूर के खिलाफ आरोपों पर बहस करने के लिए अदालत से 10 दिन का समय मांगा है। जबकि, थरूर के वकील विकास पाहवा ने कहा कि, उन्होंने सीआरपीसी की धारा 207 (पुलिस रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों की नकल के आरोपी की आपूर्ति) के तहत सबूतों के गैर अनुपालन के लिए संशोधन याचिका दायर की है क्योंकि प्रासीक्यूटर द्वारा उन्हें दिए गए दस्तावेजों में कुछ विसंगतियां हैं।
शशि थरूर पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498-ए (पति या महिला के साथ क्रूरता से संबंध रखने वाले) और 306 के तहत आरोप लगाए गए हैं।
सुनंदा पुष्कर को 17 जनवरी 2014 की रात को शहर के होटल के एक कमरे में मृत पाया गया था। यह दंपत्ति होटल में रुके थे क्योंकि उस समय थरूर के सरकारी बंगले का नवीनीकरण का काम चल रहा था।
इस महीने की शुरुआत में दिल्ली की एक अदालत ने आगे की कार्यवाही के लिए सुनंदा पुष्कर की मौत का मामला सत्र अदालत को सौंप दिया था। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुण भारद्वाज को मामला भेजा क्योंकि सत्र न्यायाधीश द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या) को अपराध माना गया था।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को इस मामले में सतर्कता रिपोर्ट को संरक्षित करने का भी निर्देश दिया था। हालांकि इस अपराध के लिए अधिकतम सजा 10 साल की कैद है।