पश्चिम बंगाल के पूर्वी इलाके में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। आज सुबह पुलिस और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गयी है। पुलिस यहाँ बिमल गुरुंग को गिरफ्तार करने आयी थी।
कुछ दिन पहले ही 104 दिनों से चली आ रही हिंसा और अशांति का माहौल थमा था। केंद्र सरकार ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता बिमल गुरुंग से बातचीत की पेशकश की थी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद बिमल गुरंग से इस बारे में बात की थी। इसके बाद गुरुंग ने अपने समर्थकों को शान्ति बनाने को कहा था।
मामले के सुलझ जाने के बाद भी पुलिस बिमल गुरुंग को गिरफ्तार करना चाहती थी। आज गुप्त सूत्रों की खबर पर पुलिस के एक दल ने लाप्चे बस्ती के पास एक जंगल में खोज शुरू की। इसी दौरान पुलिस और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा समर्थकों के बीच भरी मुठभेड़ हुई। इस बीच अमिताभ मुलिक नामक एक सब-इंस्पेक्टर की मौत हो गयी।
बिमल गुरुंग ने हाल ही में लोकल मीडिया को बताया था कि वे 30 अक्टूबर को अपने समर्थकों से मिलेंगे। इस दौरान उन्होंने लाखों लोगों को जमा होने को कहा था। बिमल शुरुआत से ही कहते आये हैं कि यदि उन्हें अपने लोगों के लिए जान भी देनी पड़े, तो वे पीछे नहीं हटेंगे।
दरअसल इसके पीछे मसला बहुत पुराना है। दार्जिलिंग और आसपास के इलाके वाले लोग बहुत सालों से अपने लिए एक अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनकी भाषा और संस्कृति बंगाल के लोगों से बिलकुल अलग है। इसके अलावा लोगों का मानना है कि मौजूदा राज्य सरकार उनके हितों के लिए पर्याप्त कार्य नहीं कर रही है।
इसी के चलते यहाँ के लोगों ने इस साल जून में नए राज्य की मांग को लेकर धरना शुरू किया था। इस दौरान दार्जीलिंग में सभी दुकानों आदि को बंद रखा गया। इससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर काफी असर पड़ा था।
गोरखा जनमुक्ती मोर्चा केंद्र में काबिज भाजपा के साथ एनडीऐ का हिस्सा है। ऐसे में गृह मंत्रालय के लिए भी यह मामला अहम् है। राजनाथ सिंह ने कहा था कि वे राज्य सरकार के साथ मिलकर बहुत जल्द द्विपक्षीय बैठक बुलाएँगे।