अंडरवर्ल्ड के डॉन दाउद इब्राहीम को थाईलैंड ने पाकिस्तान के सुपुर्द कर दिया है और इससे भारत और थाईलैंड के बेचेह संबंधो पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। भारत में इब्राहिम साल 1993 में मुम्बई आतंकवादी हमले के आरोप में वांटेड है जिसमे कई लोगो की मौत हो गयी थी और ली लोग घायल हो गए थे।
द नेशन थाईलैंड ने 11 अक्टूबर को एक रिपोर्ट में कहा कि “भारत और पाकिस्तान के बीच इस अपराधी के प्रत्यर्पण के लिए बैंकाक में जंग छिड़ी थी और थाईलैंड खुद को मुसीबत में देख रहा था। 9 अक्टूबर को थाईलैंड ने डी कंपनी के संचालक मुन्ना झिंगादा अका मोहम्मद सलीम को पाकिस्तान वापस भेज दिया था।”
अदालत ने निचली अदालत के भारत को प्रत्यर्पण करने के फैसले को पलट दिया था। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत थाईलैंड के इस फैसले से नाराज है और इसका असर दोनों देशो के द्विपक्षीय सम्बन्धो पर भी पड़ सकता है। भारत के लिए यह मामला बेहद मायने रखता है और वह लगातार बीते दो वर्षो से थाई के उच्च विभागों में इस मामले को उठा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि “हमने उसके माता-पिटा को विशेष जेट से भेजने का प्रस्ताव भी दिया था ताकि थाई विभाग थाईलैंड में डीएनए टेस्ट कर सके। अफ़सोस इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया। तीन वर्षो की कानूनी जंग में भारत ने दावा किया कि आरोपी उनका नागरिक है। सईद मुजक्किर मुद्दस्सर हुसैन को मोंना झिंगादा के नाम से जाना जाता है।
भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि नयी दिल्ली थाईलैंड की न्याय प्रणाली का सम्मान करती है और वह इसके परिणाम से हैरतंगेज है। झिन्गादा ने 16 वर्ष थाईलैंड की जेल में व्यतीत किये हैं। अंडरवर्ल्ड के डॉन छोटा राजन की जान लेने की कोशिश में उन्हें 35 वर्ष की सजा दी गयी थी।
झिंगादा की कैद की सजा को 16 वर्ष कर दिया गया था और साल 2016 में कैद से रिहा कर दिया गया था लेकिन उसके प्रत्यर्पण का आग्रह भारत ने साल 2012 में भी कर दिया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि “पाकिस्तान में दाउद की मौजूदगी की बात किसी से छिपी नहीं है। हमने बीते कुछ वर्षो में पाकिस्तान को उनके यहाँ मौजूद लोगो की सूची दी है। हमने निरंतर उसके प्रत्यारण की बात की है।”