संयुक्त में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने शुक्रवार को कहा कि “दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए साझेदार बनने को भारत उत्सुक है जो विश्व को यूएन के साल 2030 एजेंडा को सतत विकास लक्ष्य की तरफ बढ़ने का एक अनूठा तरीका देती है।”
विकास का अनूठा तरीका
उन्होंने कहा कि “हम यहाँ दक्षिण-दक्षिण सहयोग के दफ्तर के साथ कार्य करते हैं। अगर मुझे इसे एक शब्द में समझाना हो तो मैं कहना चाहूँगा कि “यह एक के साथ एक के लिए एक है।” इसका मतलब एक देश के लिए एक परियोजना जिसकी लागत लाखो में होगी।”
अकबरुद्दीन ने कहा कि “दक्षिण-दक्षिण सहयोग करने को एक सही चीज है। बहुपक्षीय एकजुट होकर कार्य करते हैं, यही करने को सही चीज है। यह एक बेहद छोटा योगदान है कि भारत बहुपक्षवाद की प्रतिबद्धता के साथ है और दक्षिण-दक्षिण सहयोग काफी मददगारी है।”
पैनल डिस्कशन के दौरान यूएन के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुएट्रेस ने कहा कि “सतत विकास में वृद्धि के लिए बीते दशको में एसएससी की ताकत को हमें प्रदर्शित किया है। यह एकजुटता, राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए सम्मान और बराबर की साझेदारी के साथ चलता है। एसएससी साझा विकास चुनौतियों के लिए उचित समाधान का प्रस्ताव देती है।”
वैश्विक विकास में प्रगति
दक्षिण के देशो के बीच साझेदारी ने प्रगति के मार्ग से विश्व को विकसित किया है, बच्चो की अधिक शिक्षा तक पंहुच, बच्चे के जन और मृत्यु दर में आधे की कमी आई है और गरीबी में अत्यधिक कमी हुई है। उन्होंने कहा कि “तरक्की के बावजूद विकास में इतनी तीव्रता नहीं है कि 2030 के लक्ष्यों को हासिल कर सके।”
दक्षिण में रहने वाले 2.4 अरब लोगो के समक्ष पर्याप्त स्वच्छता नहीं, करीब 84 करोड़ लोग बिना बिजली और 88.5 करोड़ की पंहुच स्वच्छ जल तक नहीं है। यूएन साउथ साउथ कोऑपरेशन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय विकास और सहयोग की गुणवत्ता में विस्तार और संख्या में वृद्धि करना है।