चीनी रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को अमेरिका पर आरोप लगाया कि दक्षिणी और पूर्वी चीनी सागर पर बी -52 बॉम्बर उड़ाकर वंशिगटन ने बीजिंग को उकसाने का काम किया है। वांशिगटन की इस हरकत से दो वैश्विक शक्तियों के बीच महायुद्ध छिड सकता है।
पेंटागन ने बुधवार को बताया कि दक्षिणी चीनी सागर पर बॉम्बर जापान के साथ साझे अभ्यास का हिस्सा था। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका की सेना का विमान को दक्षिणी चीनी सागर पर उड़ाने के बीजिंग सख्त खिलाफ है। उन्होंने कहा इस मुद्दे पर सख्ती से कार्रवाई करने के लिए चीन जरुरी कदम उठाता रहेगा।
चीन रणनीतिक समुन्द्र के अधिकतर मार्ग पर अपने हक का दावा करता है और उन इलाकों के द्विपों और तटवर्ती क्षेत्रों को बीजिंग सैन्य सुविधाओं के लिए कैंप में परिवर्तित कर देता है।
इन इलाकों पर ताइवान, ब्रूनेई, मलेशिया, फिलिपिंस और वियतनाम भी अधिकार का दावा करता है। अंतर्राष्ट्रीय समुंद्री प्राधिकरण साल 2016 में समुंद्री इलाके पर आधिपत्य जमाया था। जिस पर चीन बिना किसी कानूनी कार्यवाही के अपना आधिकार जमाता है।
पेंटागन के अधिकारी ने बताया कि विमानों का दक्षिणी चीनी सागर पर उड़ना जापान के साथ साझे अभ्यास का हिस्सा था। उन्होंने कहा अमेरिका समुद्री इलाके पर चीन के आधिपत्य को नकारता रहा है।
अमेरिकी सेना अंतर्राष्ट्रीय कानून के द्वारा मंज़ूर किये समय और जगह पर विमानों को उड़ाने के साथ ही समुंद्री मार्ग पर जहाजों का इस्तेमाल भी करेगी। वांशिगटन ने पिछले सप्ताह ही बीजिंग के 200 करोड़ डॉलर के आयतित उत्पादों पर टैरिफ लगाया था।
साथ ही रूस से हथियारों के सौदा करने पर चीनी सैन्य संघठन पर भी प्रतिबन्ध लगाया था। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के सचिव जैम मैटिस ने कहा कि चीन के साथ समस्याएं बढ़ने से वंशिगटन कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा 20 वर्ष गुज़र चुके है लेकिन चीन ने उस इलाके में सेन्य परीक्षणों को बंद नहीं किया।
पेंटागन प्रमुख ने कहा की दोनों देशों को आंतरिक मतभेदों को सँभालना सिखना होगा।