बलोच रिपब्लिकन पार्टी ने दक्षिण कोरिया की बुसान शहर में एक प्रदर्शन का आयोजन किया था ताकि पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में लोगो के गायब होने की मुद्दे को रेखांकित किया जा सके। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान सेना और ख़ुफ़िया विभाग के खिलाफ नारेबाजी की थी।
लापता होने के खिलाफ प्रदर्शन
प्रदर्शनकारियों ने आईएसआई पर अपहरण, प्रताड़ना, और बलोच राजनीतिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों की हत्याओं का आरोप लगाया है। प्रदर्शनकारियों की भीड़ को संबोधित करते हुए दक्षिण कोरिया में बीआरपी के अध्यक्ष अमीर बलोच ने कहा कि “एक भी ऐसा घर नहीं है जहाँ किसी का अपहरण नहीं हुआ हो। सेना के प्रत्येक घर से या तो सदस्य का अपहरण किया हिया या उनकी हत्या की है।”
उन्होंने आशवस्त किया कि बीआरपी बलूचिस्तान में गायब होने और मानव अधिकार के उल्लंघन के मुद्दे को हर संभावित मंच पर उठाती रहेगी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बलूचिस्तान में सेना की आक्रमकता पर ध्यान देने का आग्रह किया है और बलूच लोगो के नरसंहार को रोकने के लिए कार्रवाई करने की अपील की है।”
पार्टी के प्रवक्ता शेर मुहम्मद बुगती ने बयान में कहा कि “बलूचिस्तान में सेना के अभियान आल को अधिक सुलगा रहे हैं और जिंदगी के हर कदम पर राज्य की सेना द्वारा अपहरण का भय रहता है। केच और डेरा बुगती में एक हफ्ते तक पाकिस्तान की सेना ने अभियान के दौरान बलूच नागरिकों के घरो से मूल्यवान वस्तुओं को लूटा और इसके बाद दर्ज़नो नागरिकों के घरो को ध्वस्त कर दिया था।”
बलूच संगठनो ने अभियान को जारी रखा है
बलूच संगठनो के मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने समस्त विश्व में अपना अभियान जारी रखा है ताकि पाकिस्तान में मानव अधिकार उल्लंघन के मुद्दे को उठाया जा सके। पाकिस्तान की सेना पर बगैर न्याय के हत्या और कार्यकर्ताओं के लापता होने के इल्जाम लगाये गए हैं। कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और मानवाधिकार संगठनो ने इस मामले पर बोलने की हिम्मत की है।
आंकड़ो के मुताबिक, साल 2014 से लापता होने के 5000 के करीब मामले दर्ज हुए हैं और इसमें से अधिकतर अनसुलझे हैं। स्वतंत्र स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनो ने इस संख्या को काफी ज्यादा बताया है। सिर्फ बलूचिस्तान से 20000 लोगो का अपहरण हुआ है, और 2500 से अधिक नागरिकों की हत्या गोली लगने से हुई है।
प्रधानमन्त्री बनने से पूर्व इमरान खान ने कबूल किया था कि गैर न्यायिक हत्या और लापता करने में पाकिस्तान के ख़ुफ़िया विभाग का हाथ है और इस प्रक्रिया को खत्म करने में असक्षम होने पर इस्तीफा देने का संकल्प लिया था।