दक्षिण कोरिया ने शुक्रवार को कहा कि “वह तेल आयात के वैकल्पिक स्त्रोतों की खोज करेगा ताकि ईरान पर अमेरिका द्वारा लागू किये प्रतिबंधों के प्रभाव को कम किया जा सके।” हाल ही में अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने ऐलान किया था कि “दक्षिण कोरिया, भारत, चीन, और अन्य पांच देशों को ईरान से तेल खरीदने की अब कोई रिआयत नहीं दी जा रही है।”
देशों को दी गयी रिआयत का अंत 2 मई हो होगा। इस सप्ताह की शुरुआत में आर्थिक मामलो के उप विदेश मंत्री युन कांग ह्योन ने इस मामले पर बातचीत के लिए वांशिगटन की यात्रा की थी। भारत ने भी मंगलवार को कहा कि “अमेरिका के निर्णय से पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिए वह पर्याप्त रूप से तैयार है।”
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि “भारत सरकार ने अमेरिकी सरकार के ऐलान को नोट कर लिया था कि वह सभी देशों की ईरान से तेल खरीदने की रिआयत को खत्म कर रहे हैं। हम इस निर्णय से पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिए वह पर्याप्त रूप से तैयार है।”
बीते वर्ष नवंबर में अमेरिका ने ईरानी तेल खररीदने के लिए आठ देशों को 180 दिनों की मोहलत दी थी और इसके बाद तेल आयात शून्य करने की चेतावनी भी दी थी। अमेरिकी राज्य विभाग ने बयान जारी कर कहा कि “चाबहार बंदरगाह एक अलग अपवाद है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निर्णय से इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।”
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने साल 2015 में ईरान के साथ हुई अंतर्राष्ट्रीय परमाणु संधि को बीते वर्ष तोड़ दिया था ताकि ईरान पर परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के लिए दबाव बनाया जा सके। ईरान से तेल आयात करने वाले राष्ट्र चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ग्रीस समेत आठ मुल्क है।