दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने उत्तर कोरिया में परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए करीबी सहयोग को मजूरी दे दी है। डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन की हनोई में हुई मुलाकात असफल साबित हुई थी। वह दोनों किसी समझौते पर नहीं पंहुच पाए थे।
शान्ति और सुरक्षा मामलों में कोरियाई पेनिनसुला के विशेष प्रतिनिधि ली दो हून और अमेरिकी समकक्षी स्टेफेन बेगुन की वांशिगटन में मुलाकात हुई थी। बयान में दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने कहा कि “उत्तर कोरिया-अमेरिका के बीच बातचीत में प्रगति के यह बेहद संवेदनशील पल है।”
परमाणु निरस्त्रीकरण और शान्ति प्रक्रिया पर उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के मध्य बहुत बड़ा अंतर देखने को मिला था। दोनों पक्षों ने जोर देकर कहा कि “उत्तर कोरिया के मामले पर अमेरिका और दक्षिण कोरिया की जुगलबंदी बहुत अच्छी है और उन्होंने चर्चा व बातचीत के लिए रज़ामंदी जताई है।”
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की हनोई में 27 फरवरी को दूसरी मुलाकात हुई थी। इस बैठक को दोनों नेताओं में बगैर किसी समझौते पर हस्ताक्षर किये रद्द कर दी थी। रायटर्स के मुताबिक डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को कहा कि “उत्तर कोरिया का परमाणु हथियारों के साथ भविष्य अन्धकार में हैं।” पेंटागन ने पुष्टि की कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने सैन्य अभ्यास को बंद करने की रजामंदी जाहिर की है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने बिना किसी संयुक्त बयान के शिखर सम्मलेन के बाद कहा कि “यह प्रतिबंधों के लिए हुआ, वो चाहते थे सभी प्रतिबंधों को पूर्ण रूप से हटाया जाए लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते थे।” तीसरे शिखर सम्मलेन के आयोजन पर सहमति के बाबत अमेरिकी राष्ट्रपति से पूछने पर उन्होंने बताया कि “नहीं, अभी कोई बातचीत नहीं हुई है। लेकिन हम इस पर विचार करेंगे।”
डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन के मध्य ऐतिहासिक मुलाकात बीते वर्ष जून में सिंगापुर में हुई थी, जहां उत्तर ककोरा के शासक ने परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए प्रतिबद्धता दिखाई थी। हाल ही में आलोचकों ने कहा कि किम जोंग उन परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं। कारणवश, डोनाल्ड ट्रम्प को दबाव में आकर दूसरे शिखर सम्मेलन के लिए राज़ी होना पड़ा था।