दक्षिणी सूडान के आर्थिक हालात काफी खराब हो चुके हैं और इसके कारण लोगों में आक्रोश बना हुआ है। लगातार हिंसक प्रदर्शनों के कारण राष्ट्रपति ने देश में आपातकाल की घोषणा भी कर दी है। यूएन द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक सूडान के 70 लाख लोग भुखमरी की कगार पर हैं।
अनाज के उत्पादन में कमी
यूएन के आंकड़ों के मुताबिक मई से जुलाई के बीच देश के 70 लाख लोगों पर भुखमरी का संकट आ सकता है। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में देश में अनाज का उत्पादन 61 फीसदी था, जिसके इस वर्ष घटकर 52 प्रतिशत रहने का अनुमान हैं।
दक्षिणी सूडान में वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक साइमन कैमेनबीक ने बताया कि साल 2019 में खाद्य असुरक्षा बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि “अगर हमने जल्द ही मदद का बंदोबस्त नहीं किया तो मुल्क में भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। कुपोषित महिलाओं और बच्चो का संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है। उनकी जरूरतों की पूर्ती के लिए हम कई कदम उठा रहे हैं।”
राष्ट्रपति ने लगाया आपातकाल
सूडान के प्रधानमंत्री ओमर अल बशीर ने शुक्रवार को पूरे राष्ट्र में आपातकाल का ऐलान कर दिया था और सरकार को भंग कर दिया था। बीबीसी के मुताबिक उनके तीस सालों के शासन के खिलाफ बीते कुछ हफ़्तों से जारी प्रदर्शनों को कुचलने के लिए यह निर्णय लिया गया था।
महंगाई का विरोध
पूरे देश में 19 दिसंबर से हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को प्रबंधन सही तरीके से नहीं कर रही है और उन्होंने दिग्गज नेता से सत्ता छोड़ने की मांग की थी। राष्ट्रपति ने प्रदर्शनकारियों की उपेक्षा की और सत्ता छोड़ने की उनकी मांग को ठुकरा दिया। प्रदर्शन की शुरुआत अतबारा के शहर से हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे यह प्रदर्शन बशीर के तीन दशकों के राज के लिए चुनौती बन गयी थी। अधिकारीयों के मुताबिक इन हिंसक गतिविधियों में 31 लोगों की जान जा चुकी है। मानव अधिकार समूह ने कहा कि चिकित्सकों और बच्चों सहित 51 लोगों की मृत्यु हुई है।
सूडान में काफी लम्बे समय से महंगाई की मार पड़ रही है, खासकर साल 2011 में दक्षिणी सूडान के अलग हो जाने से काफी मुश्किलें उभरी है। लेकिन रोटी की कीमतों में वृद्धि ने नागरिकों के गुस्से को बढ़ा दिया और व्यापक स्तर पर हिंसक प्रदर्शन हुए थे।