दक्षिणी सूडान में यूएन के अभियान के लिए तैनात 150 भारतीय पीसकीपर्स यानी शान्ति की स्थापना करने वाले सैनिकों को समर्पित नौकरी और कुर्बानी के लिए सम्मानित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि “समर्पित नौकरी और कुर्बानी के लिए भारतीय शान्ति दूतो को मलाकल में मेडल्स से सम्मानित किया जा रहा है भारत को इस पर गर्व होना चाहिए।”
साथ ही यूएन ने भारतीय पीसकीपर्स की परेड में शामिल होते हुए और मेडल लेते हुए तस्वीरें भी जारी की है। परेड और रंग मंच से समारोह में मलाकल में यूएन के सैनिको के रूप में तैनाती के लिए 150 भारतीय पीसकीपर्स को मेडल दिया गया था। मलाकल में तैनात सैनिकों में कर्नल अमित गुप्ता भी शामिल मेडल दिया गया है।
यूएनएमआइएसएस के न्यूज़ आर्टिकल में बताया कि अमित गुप्ता दक्षिणी सूडान में 850 सियनिको की बटालियन का नेतृत्व करते हैं। आर्टिकल में अमित गुप्ता ने कहा कि “मैं दक्षिणी सूडान की जनता सकारात्मक यादो में रहना चाहता हूँ। मैं उन्हें एक बेहतर स्थान पर छोड़ना चाहता हूँ जहां वे खुद के लिए अत्यधिक आय कमा सके और देश की अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सके।”
उन्होंने कहा कि भारतीय पीसकीपर्स को विभिन्न चरणों का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह उत्पादन में किसानों की मदद करते हैं और जानवरो के स्वास्थ्य कर्मचारियों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। अगर यह समूह एक साथ भारत आ सकता है और देश में सर्वधिक दुग्ध उत्पादन संस्थाओं को खोल देगा तो यकीनन यह यहां भी बेहतर करेगा। बल्कि अगर ट्रेनी सिखाये हुए का 10 फीसदी भी अमल में लाते है तो यह देश के लिए बेहतर होगा।
इस मैडल से सम्मानित होने वाले अंकुश चीमा ने साल 2017 में इस इकाई को ज्वाइन किया था। उन्होंने कहा कि “मरे पालन-पोषण कश्मीर के नजदीक हुआ जहां कई सैन्य बेस है तो इसलिए मैंने खुद को हमेशा एक सैनिक ही समझा था। मरे पिताजी और दादाजी सेना में हैं लेकिन उन्हें कभी पीसकीपिंग मिशन का हिस्सा बनने का मौका नहीं मिला था।”
उन्होंने कहा कि “मैं खुद को बहुत भाग्यशाली समझता हूँ। जब मैं घर लौटूंगा तो मेरे पास यूएन का मेडल होगा।” यूएन के पीसकीपिंग अभियान में भारत के अधिकतर सैनिक शामिल होते हैं। बीते 70 वर्षों से 200000 सैनिक और पुलिस यूएन में कार्यरत है और 168 सैनिको ने मिशन में अपने जान की कुर्बानी दी है। भारत ने अभी 2400 सैनिको और पुलिसकर्मियों को इस मिशन के तहत तैनात कर रखा है।