अमेरिका के कार्यकारी रक्षा सचिव पैट्रिक षानहन ने शुक्रवार को कहा कि “दक्षिणी चीनी सागर पर चीन का सैन्यकरण हद से ज्यादा है।” रक्षा मंच के इतर सिंगापुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि “दक्षिणी चीनी सागर पर सरफेस टू एयर मिसाइल की स्थापना अत्यधिक और अतिविस्तार है।
चीन और अमेरिका निरंतर एक-दुसरे पर आरोप लगाते रहते हैं। वांशिगटन के मुताबिक बीजिंग दक्षिणी चीनी सागर में कृत्रिम द्वीपों और चट्टानों की स्थापना कर सैन्यकरण के मंसूबे पाल रहा है। समूचे दक्षिणी चीनी सागर पर चीन अपने अधिकार का दावा करता है।
चीन के आलावा इस रणनीतिक क्षेत्र पर ब्रूनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस और ताइवान भी दावा करते हैं। अमेरिका, जापान और भारत का इस क्षेत्र पर दावा नहीं है। इस क्षेत्र पर दावा न होने के बावजूद अमेरिका विवादित दक्षिणी चीनी सागर पर सक्रीय रहता है।
अमेरिका इस इलाके में जंगी जहाजों को भेजता है और इसके लिए कई बार चीन ने वांशिगटन को धमकी दी है कि ऐसे कदम भड़काऊ हैं।
समुद्री क्षेत्रों को हथियाने की चीन की गतिविधियां भी इस योजना का भाग है, यह साल 2013 के अंत में शुरू हुआ था और इससे कई प्रवाल द्वीपों हुए विवादित चट्टानों को इंजीनियरिंग का इस्तेमाल कर पूर्ण रूप से द्वीप में परिवर्तित कर दिया गया था।
इस माह की शुरुआत में अमेरिका के सचिव माइक पोम्पिओ ने चीन की सार्वजानिक स्तर पर समुंद्र में अवैध निर्माण की आलोचना की थी और कहा कि दक्षिणी चीनी सागर पर कब्ज़ा कर चीन दुसरे देशों की संसाधन भंडार तक पंहुचने की राह को बंद करना चाहता है।