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    चीन रिमोट सेंसिंग उपग्रह

    चीन लगातार दक्षिणी चीन सागर पर अपना एकाधिकार जमाने की कोशिशों में लगा हुआ है। दक्षिणी चीन सागर पर कई देशों का चीन के साथ विवाद बना हुआ है। लेकिन चीन इन विवादों को दरकिनार कर अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। चीन अब दक्षिणी चीन सागर पर दूरस्थ सैटेलाइट उपग्रहों की योजना बना रहा है।

    चीन अब दूरसंचार संबंधी रिमोट सेंसिंग कवरेज की सहायता के लिए अपने दक्षिणी हैनान प्रांत से उपग्रहों को लॉन्च करने की योजना बना रहा है। उपग्रहों को लॉन्च करके चीन रिमोट सेंसिंग कवरेज प्राप्त कर सकता है । इसकी मदद से चीन का दावा दक्षिण चीन सागर पर मजबूत हो जाएगा।

    सान्या इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग ने कहा कि वो अगले साल तीन ऑप्टिकल उपग्रहों को लॉन्च करेगा। वह उष्णकटिबंधीय समुद्री क्षेत्र में चौबीस घंटे रिमोट सेंसिंग के लिए साल 2021 तक उपग्रह लॉन्च कार्यक्रम को पूरा करेगा।

    कार्यक्रम को पूरा करने के लिए 3 ऑप्टिकल उपग्रह, दो हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रह और 2 सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रहों को शामिल करेगा। संस्थान के निदेशक यांग टियांलांग ने कहा कि यह कार्यक्रम 21 वीं सदी की समुद्री सिल्क रोड की चीन की पहल और समुद्र में आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रयासों के लिए वैज्ञानिक समर्थन प्रदान करेगा।

    व्यापारिक गतिविधियों के लिए महप्वपूर्ण है दक्षिणी चीन सागर

    दरअसल चीन जानता है कि इस समय अमेरिका, जापान सहित कई देशों का ध्यान उत्तर कोरिया मुददे पर लगा हुआ है। चीन इसी का फायदा उठाकर दक्षिण चीन सागर के विवादित क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। चीन चाहता है कि वो रिमोट सेंसिंग उपग्रहों की मदद से 24 घंटे समुद्री गतिविधियों पर नजर रख सके।

    चीन दक्षिणी चीन सागर के पूरे हिस्से पर अपना दावा करता है। लेकिन इस क्षेत्र में फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और ताइवान जैसे देश भी दावा करते है। दक्षिणी चीन सागर व्यापारिक गतिविधियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसलिए ही इसे लेकर कई देशों के बीच में विवाद चल रहा है।

    चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने मीडिया को बताया कि दक्षिणी चीन सागर पर चीन की संप्रभुता है। अगर चीन किसी भी निर्माण, शांतिपूर्ण गतिविधियों का आयोजन कर रहा है या रक्षा सुविधाओं की तैनाती कर रहा है तो यह सामान्य बात है क्योंकि वो हमारे क्षेत्र में ही आता है।