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    डोनाल्ड ट्रम्प और शी जिनपिंग

    चीन के मानवनिर्मित द्वीप मिस्चीएफ़ रीफ के नजदीक अमेरिका के दो निर्देशित मिसाइल विध्वंशक नौचालन कर रहे थे। अमेरिका की इस हरकत से दोनो राष्ट्रों के मध्य तनाव बढ़ गया है। बीजिंग और वंशिगटन दोनों ही विवादित दक्षिणी सागर पर अपना प्रभुत्व दिखाते रहते हैं।

    अमेरिका विवादित दक्षिणी चीनी सागर में नौसेना गश्त करता रहता है, वही चीन इस इलाके में अपने प्रभुत्व को बढ़ाने का प्रयास करता रहता है। अमेरिका के दो युद्धपोतों के चीनी इलाके से गुजरने पर चीन ने विरोध जताया है। इस प्रतिक्रिया पर अमेरिकी कमांडर क्ले डॉस ने कहा कि “अमेरिकी सेना इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रोजाना का संचालन कर रही थी, साथ ही दक्षिणी चीनी सागर में भी यही हो रहा था।”

    नियमित संचालन

    उन्होंने कहा कि “सभी संचालनों को अंतर्राष्ट्रीय कानून तैयार किया गया था और इस मकसद यह प्रदर्शित करना था कि अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत किसी भी इलाके में उड़ान, नौचालन और गश्त कर सकता है।”  सीएनएन के मुताबिक अमेरिका के दो मिसाइल विध्वंशक यूएसएस स्प्रुएंस और यूएसएस प्रबल ने 12 नॉटिकल मील तक भ्रमण किया, जिसे अमेरिका सेना ने नौचालन अभियान की स्वतंत्रता कहा है।

    फ्रीडम ऑफ़ नेविगेशन

    कमांडर डॉस ने कहा कि “हमने नियमित और तय ‘फ्रीडम ऑफ़ नेविगेशन ऑपरेशन’ का आयोजन किया था, जो हमने पूर्व में भी किया है और भविष्य में भी करना जारी रखेंगे।” चीन विश्व में सबसे अधिक शक्तिशाली ताकत बनने के मंसूबे पालकर बैठा है और इसीलिए उसने नौसेना अत्यधिक निवेश किया है।

    चीन पूरे दक्षिणी चीनी सागर पर अपना दावा मानता है। साथ ही ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपीन्स और वियतनाम भी इस समुद्री मार्ग पर अपना दावा करता है। हर साल इस मार्ग से 5 ट्रिलियन व्यापार जहाज गुजरते हैं।

    चीन का प्रतिकार

    अमेरिका की इस हरकत पर भड़कते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि “अमेरिका दक्षिणी चीनी सागर में परिशानियां बढ़ाना तय कर चुका है, तनाव बढ़ाना छटा है और शान्ति को दरकिनार कर रहा है।” उन्होंने अमेरिका को इन भड़काऊ कदम को तुरंत रोकने की चेतावनी दी है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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