अमेरिका के आला जनरल ने बुधवार को कहा कि “चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दक्षिणी चीनी सागर में सैन्यकरण न करने के अपने वादे को तोड़ दिया है और इसकी प्रतिकारी कार्रवाई के लिए बीजिंग जिम्मेवार होगा।” पेंटागन के जॉइंट चीफ ऑफ़ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल जोसफ डनफोर्ड ने कहा कि “वह सैन्य कार्रवाई के लिए नहीं कह रहे हैं लेकिन जोर देते हुए कहा कि हमें अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को लागू करने की जरुरत है।”
उन्होंने कहा कि “राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2016 में राष्ट्रपति बराक ओबामा से वादा किया था कि वह द्वीपों पर सैन्यकरण नहीं करेंगे। आज हम 10000 फुट रनवे, गोलाबारूद रखने की सुविधाएँ, निरंतर मिसाइल रक्षा क्षमताओं की तैनाती, उड्डयन क्षमताओं और अन्य देख सकते हैं। यह स्पष्ट है कि वह अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हट गए हैं।”
उन्होंने कहा कि “मेरे ख्याल से दक्षिणी चीनी सागर को पत्थरो का ढेर नहीं है।” उनका इशारा चीन चट्टानों पर अपना दावा ठोकना है। जहां वह अपने सैन्य बलों और विशाल एयरक्राफ्ट की तैनाती में विस्तार कर रहा है।
जनरल ने कहा कि “जब हम अंतर्राष्ट्रीय नियमो, मानकों मापदंडो के मुताबिक कार्रवाई को नज़रअंदाज़ करते है, हम एक नए स्टैण्डर्ड सेट करते हैं। मैं किसी सैन्य प्रतिक्रिया का सुझाव नहीं दे रहा हूँ। अंतर्राष्ट्रीय मानकों और मापदंडो का उल्लंघन करने वाले पर सुसंगत सामूहिक कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें इसका जिम्मेदार ठहरना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे उल्लंघनों से बचा जा सके।”
दक्षिणी चीनी सागर पर चीन की आक्रमक सैन्य उपनिवेशवाद की स्थापना से वांशिगटन बौखला गया है। इस सागर पर पांच अन्य देश वियतनाम, मलेशिया, ब्रूनेई, इंडोनेशिया और फिलीपीन्स भी अपना दावा करते हैं।