अमेरिका की सेना ने बताया कि “सोमवार को उनके दो युद्धपोतों ने दक्षिणी चीनी सागर पर चीन के दावे वाले द्वीपों के नजदीक नौचालन किया था।” अमेरिका के इस कदम से चीन का क्रोध भड़क सकता है और विश्व की दो प्रभावशाली अर्थव्यवस्थाओं के बीच मनमुटाव हो सकता है।
अमेरिकी-चीनी संबंधों में दक्षिणी चीनी सागर एक उभरता हुआ विवादित मसला बन रहा है। इसमें व्यापार युद्ध, अमेरिकी प्रतिबन्ध और ताइवान शामिल है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नाटकीय अंदाज़ से चीन पर दबाव बढ़ाने के लिए रविवार को अमेरिकी शुल्क में बढ़ोतरी का ऐलान किया था। उन्होंने कहा कि वह इस हफ्ते चीनी उत्पादों पर 200 अरब डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे।
अमेरिकी निर्देशित मिसाइल विध्वंशक प्रेबल और चुंग हून ने द्वीपों के गावें और जॉनसन चट्टान तक 12 नॉटिकल मील की यात्रा तय की थी। सातवें फ्लीट के प्रवक्ता कमांडर क्ले डॉस ने कहा कि “यह अत्याधिक समुंद्री दावों और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत जलमार्गो तक पंहुच के संरक्षण के लिए निरपराध मार्ग है।”
बीजिंग रणनीतिक जल पर नौचालन की आज़ादी को सीमित करने का प्रयास कर रहा है और इस पर चीनी, जापानी और अन्य दक्षिण पूर्वी एशियाई नौसेना संचालन करती है। अमेरिका का यह हालिया कदम चीनी प्रयासों को चुनौती है। चीन पूरे रणनीतिक चीनी सागर पर दावा करता है और अमेरिका व उसके सहयोगियों को चीनी अधिकृत द्वीपों के नजदीक नौसैन्य अभियान को अंजाम देने से रोकता है।
वियतनाम, फ़िलीपीन्स, ब्रूनेई, मलेशिया, इंडोनेशिया और ताइवान इस क्षेत्र पर अपने दावा ठोकते हैं। वांशिगटन के मुताबिक चीन दक्षिणी चीनी सागर में कृत्रिम द्वीपों और चट्टानों का निर्माण कर सैन्यकरण कर रहा है। चीन के मुताबिक, उसका निर्माण कार्य उसकी आत्मसुरक्षा के लिए जरुरी था और कहा कि “क्षेत्र में तनाव के बढ़ने का जिम्मेमदार अमेरिका है क्योंकि वह युद्धपोतो और सैन्य विमानों को भेजता रहता है।”
बीते माह चीन के नौसेना प्रमुख ने कहा कि “नौचालन की आज़ादी का इस्तेमाल अन्य देशों के अधिकारों के हनन के नहीं करना चाहिए।” हाल ही में चीनी नौसेना के 70 वर्ष पूरे होने के मौके पर नौचालन अभियान की शुरुआत की गयी थी। चीनी की नौसेना की सालगिरह के समारोह पर अमेरिका ने निचले स्तर के प्रतिनिधि को भेजा था।