अमेरिका ने आंकलन किया है कि विवादित दक्षिणी चीनी सागर में चीन के सैन्यकरण में इजाफा हुआ है। अमेरिकी इंडो पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल फ्लिप डैविडसन ने बताया कि बीते वर्ष से चीन की सैन्य गतिविधियां बढ़ने लगी है।जहाज, लड़ाकू विमान और बॉम्बर्स की गतिविधियां बीते वर्ष के मुकाबले बढ़ने लगी है।”
चीन का सैन्यकरण
ब्लूमबर्ग के मुताबिक अमेरिकी कमांडर ने पत्रकारों से कहा कि “वह बढ़ा रहा है, वह कतई काम नहीं नहीं कर रहा है। दक्षिणी चीनी सागर से व्यापार, कमर्शियल गतिविधि और वित्तीय सूचना का बहाव जोखिम भरा हो सकता है।” राज्य सचिव माइक पोम्पिओ बीते हफ्ते मनिला में थे ताकि फिलीपीन्स को सुनिश्चित कर सके कि दक्षिणी चीनी सागर में उनके विमान या जहाज पर हमले के दौरान रक्षा संधि लागू होगी।
फ़िलीपीन्स के वरिष्ठ अधिकारी का अमेरिका के साथ हुई संधि में परिवर्तन को लेकर बहस हो गयी थी। जबकि विदेश सचिव टेओडोरो लोक्सिन ने कहा था की “साल 1951 में हुए समझौते में कोई परिवर्तन नहीं होगा।” रक्षा सचिव डेल्फिन लोरेन्जाना माइक पोम्पिओ द्वारा सुनिश्चित करने के बावजूद इसकी समीक्षा चाहती है।
डेल्फिन लोरेन्जाना ने कहा कि चीन के आक्रमक रवैये को अमेरिका नहीं रोक रहा है। उन्होंने चेताया कि दस्तावेजों की यह अस्पष्टता संकट के समय अराजकता उत्पन्न करेगी। चीन ने साल 2019 में रक्षा बजट में 7.5 फीसदी इजाफा करने का लक्ष्य रखा है।
चीन ने अपनी थल सेना में 50 फीसदी की कमी की है। 20 लाख से ज्यादा सैनिक नौसेना और वायु सेना में बढ़ाये हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी सैन्य व्यवस्था में सुधार करना चाहते है और उसे आधुनिक बनाने पर जोर दे रहे हैं।
चीन, ब्रूनेई, मलेशिया, वियतनाम, ताइवान और फिलीपीन्स दक्षिणी चीनी सागर पर अपने अधिकार का दावा करते हैं और हर वर्ष इस मार्ग से 3 ट्रिलियन डॉलर के सामान का आयात-निर्यात किया जाता है। हाल ही में अमेरिका ने कहा था कि दक्षिणी चीनी सागर में सैन्य गतिविधियां बढ़ाकर चीन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की कोशिश कर रहा है।