दक्षिणी चीनी सागर पर चीन की गतिविधियाँ बढ़ने से अमेरिका चिंतित है। अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी ने चीनी समकक्षी के शुक्रवार को विवादित दक्षिणी चीनी सागर में सैन्य गतिवधियां रोकने का आग्रह किया था। हाल ही में अमेरिका ने अपने युद्धपोत को चीनी दावे वाले टापू के निकट में भेजा था।
अमेरिका और चीन के मध्य उच्च स्तर की वार्ता में कई अन्य मुद्दों मसलन व्यापार तनाव, एशिया पैसिफिक जल में नौचालन की स्वतंत्रता, ताइवान और शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों पर बर्बरता पर बातचीत हुई थी। डोनाल्ड ट्रम्प और शी जिनपिंग नवम्बर में आयोजित जी-20 सम्मेलन के इतर मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात से पूर्व दोनों राष्ट्रों के संबंधों को सुधारने के लिए यह बैठक की थी।
साझा प्रेस कांफ्रेंस में अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पेओ ने कहा कि अमेरिका कोई शीत युद्ध नहीं लड़ रहा है और न ही चीन से सम्बंधित ऐसी कोई नीति है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन कई मुश्किल चुनौतियों का सामना करेंगे क्योंकि कई मसलों पर सहयोग जरुरी होता है।
अमेरिका और चीन के बीच बीते माह कूटनीतिक और रक्षा बैठक आयोजन किया गया था लेकिन तनाव के कारण इस बैठक को रद्द कर दिया गया था। माइक पोम्पेओ ने कहा कि दक्षिण चीनी सागर में चीनी सैन्य गतिविधियों से अमेरिका चिंतित है और हमने चीन पर पूर्व में किये वायदों पर अमल करने के लिए दबाव बनाया है। उन्होंने कहा कि चीन को अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत कार्य करना होगा।
चीनी मंत्री ने कहा कि चीन ने मुकाबले न करने करने का वादा किया था लेकिन अपने इलाके पर आवश्यक रक्षा सुविधाओं का निर्माण करना चीन का अधिकार है। उन्होंने अमेरिका से अनुरोध किया कि बीजिंग के दावे वाले टापूओं के नजदीक अपने युद्धपोत न भेजे।
चीन और अमेरिकी रक्षा सचिवों ने अमेरिका और चीन के मध्य सैन्य तनाव को कम करने पर सहमती जताई है। माइक पोम्पेओ ने तिब्बत में बुद्ध नागरिकों और शिनजियांग में उइगर समुदाय जैसे धार्मिक समूहों पर उत्पीड़न की आलोचना की थी। जबकि चीनी मंत्री ने अपनी नीति का बचाव करते हुए कहा कि यह चीनी का आंतरिक मसला है और विदेशी सरकारों को इसमें दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए।